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Monday, November 11, 2024

दोषियों की दया याचिका खारिज कर उन्हें फांसी दिए जाने का रास्ता साफ कर दिया है।

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नई दिल्ली। दोषियों की दया याचिका खारिज कर उन्हें फांसी के तख्ते तक पहुंचाने में रिकॉर्ड बनाने वाले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रेप और हत्या के दोषी की दया याचिका समेत पांच दया याचिका खारिज कर उन्हें फांसी दिए जाने का रास्ता साफ कर दिया है।

 

गृह मंत्रालय ने रेप और हत्या के दोषी धर्मपाल समेत 7 दोषियों की दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजी थी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पांच की फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए दो की सजा को उम्रकैद में तबदील कर दिया है। अब हरियाणा सरकार धर्मपाल की फांसी के लिए तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि अगले सप्ताह किसी भी दिन धर्मपाल को फांसी दे दी जाएगी। धर्मपाल फिलहाल रोहतक जेल में बंद है। हरियाणा में मौजूदा समय में कोई जल्लाद नहीं है। सोनीपत ट्रायल कोर्ट से डेथ वारंट मिलने के बाद सरकार इसकी औपचारिकता पूरी करेगी। इसके बाद फांसी की तारीख तय हो जाएगी।

 

रेप में दोषी ठहराए गए हरियाणा के धर्मपाल ने पैरोल पर रिहा होने के बाद रेप पीड़िता परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी थी। धर्मपाल की 13 वर्ष से दया याचिका निलंबित पड़ी थी। गौरतलब है कि 1991 में धर्मपाल पर सोनीपत में एक लड़की के साथ रेप करने का आरोप लगाया गया था। जिसमें 1993 में कोर्ट ने उसको दस वर्ष की सजा सुनाई थी। लेकिन दोषी ने लड़की को गवाही देने की सूरत में धमकी देना शुरू कर दिया।

 

1993 में उसको पांच दिनों के लिए पैरोल पर रिहा किया गया तो उसने पीड़ित के परिवार पर हमला कर उसके मां-बाप, बहन भाई की हत्या कर दी। इसमें उसका साथ उसके भाई निर्मल ने दिया था। बाद में हत्या के दोनों दोषियों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई।

 

सुप्रीम कोर्ट ने 1999 में धर्मपाल की सजा कायम रखी लेकिन निर्मल की सजा उम्र कैद में तब्दील कर दी। धर्मपाल ने पहले 1999 में राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की थी। अगले ही साल दया याचिका खारिज कर दी गई। उसने फिर से 2005 में दया याचिका दाखिल की लेकिन तब से पिछले साल दिसंबर तक याचिका निलंबित पड़ी थी, जिस पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अब फैसला लिया है। वहीं इस मामले में ही सजा पाया निर्मल भी वर्ष 2000 में पैरोल पर छूटने के बाद फरार हो गया था, जिसको बाद में दस वर्ष बाद फिर गिरफ्तार कर लिया गया।

 

हरियाणा की 19 जेल में से केवल अंबाला और हिसार में ही फांसी देने की सुविधा है। यहां पर अंतिम फांसी अंबाला की जेल में 1989 में हत्यारे गुलाब सिंह को दी गई थी।

 

प्रणब से पहले राष्ट्रपति रहते हुए प्रतिभा पाटिल ने 2007 से 2012 के बीच 35 दोषियों की सजा-ए-मौत को उम्रकैद में बदल दिया था। तीन याचिकाएं उन्होंने रद्द की थी। प्रणब मुखर्जी ने जिनकी दया यचिका खारिज की है उनमें उत्तर प्रदेश का गुरमीत सिंह भी शामिल है। उस पर 17 अगस्त 1986 को एक परिवार के 13 लोगों की हत्या के मामले में फांसी की सजा मिली है।

 

उत्तर प्रदेश के ही सुरेश और रामजी को अपने भाई के परिवार के पांच लोगों की हत्या में मौत की सजा दी गई थी। वहीं हरियाणा के चर्चित रेलूराम पुनिया हत्याकांड में पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया समेत परिवार के आठ सदस्यों की उनकी बेटी सोनिया और दामाद संजीव ने ही जहर देकर हत्या कर दी थी। इसमें रेलूराम पूनिया के अलावा उनकी पत्नी कृष्णा, बेटे सुनील, बहू शकुंतला, बेटी प्रियंका, 4 साल के पोते लोकेश, ढाई साल की पोती शिवानी और डेढ़ महीने की प्रीति की मौत हो गई थी। इस मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी।

 

उत्तर प्रदेश के जफर अली को 2002 में पत्नी और पांच बेटियों की हत्या के मामले में मौत की सजा दी गई थी। उत्तराखंड के सुंदर सिंह की भी दया याचिका को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया है। उसे सुप्रीम कोर्ट ने रेप के बाद हत्या करने का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।

 

 

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