इस्लामाबाद। पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ की जिंदगी उनके फार्म हाउस के दो कमरों के बीच सिमट कर रह गई है। आतंकवाद निरोधी अदालत ने वर्ष 2007 में देश में आपातकाल लागू करने के मामले में मुशर्रफ को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में रखा है और उनके फार्महाउस को ही ‘उप जेल’ घोषित किया है।
ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग पार्टी के नेता और पूर्व राष्ट्रपति के करीबी मुहम्मद अमजद ने कहा, ‘मुशर्रफ को उनके फार्म हाउस के दो कमरों के बीच सीमित कर दिया गया है। उनके परिवार वालों को भी उनसे मिलने की इजाजत नहीं है। उनके निजी कर्मचारी भी फार्म हाउस के अंदर बने दफ्तर में काम कर रहे हैं।’ इस्लामाबाद के बाहरी क्षेत्र चक शहजाद में बने इस फार्म हाउस में दो जेल अधिकारियों को तैनात किया गया है, जो मुशर्रफ की जरूरतों का ख्याल रख रहे हैं। पांच एकड़ में फैले फार्म हाउस के इर्द गिर्द पुलिस कर्मियों की तादाद बढ़ा दी गई है और इतनी कड़ी सुरक्षा है कि कोई भी वहां तक पहुंच नहीं सकता।
अमजद ने बताया कि मुशर्रफ के वकीलों तक को भी उनसे मिलने की इजाजत नहीं है। इससे विभिन्न अदालतों में लंबित विभिन्न मामलों की तैयारी प्रभावित होगी। अमजद ने जोर देते हुए कहा कि कुछ साल पहले जब पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी रावलपिंडी में जेल में थे, तो उन्हें ज्यादा आजादी और सुविधाएं मुहैया कराई गईं थी। मुशर्रफ पहले सैन्य प्रमुख हैं, जिन्हें गिरफ्तार किया गया है और अदालत के सामने पेश किया गया है।
पार्टी ने उठाए जज की निष्पक्षता पर सवाल
इस्लामाबाद। पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की पार्टी आल पाकिस्तान मुस्लिम लीग [एपीएमएल] ने जमानत रद करने और गिरफ्तारी के आदेश देने वाले न्यायाधीश शौकत अजीज सिद्दीकी की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। पार्टी का कहना है कि न्यायाधीश सिद्दीकी व्यक्तिगत तौर पर बहुत ही विवादास्पद हैं। वह लाल मस्जिद के मौलवी अब्दुल अजीज के वकील के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं और मुशर्रफ के खिलाफ वह निजी प्रतिशोध की भावना से काम कर रहे हैं।
एपीएमएल ने बताया, ‘पार्टी प्रवक्ता आसिया इसहाक के मुताबिक, सिद्दीकी ने वर्ष 2002 में जमात-ए-इस्लामी के टिकट पर रावलपिंडी क्षेत्र से आम चुनाव भी लड़ा था।’ सिद्दीकी ने लाल मस्जिद के मौलवी अब्दुल अजीज की गिरफ्तारी के बाद आतंकवाद निरोधी अदालत में उनकी पैरवी की थी। वर्ष 2007 में लाल मस्जिद में हुई सैन्य कार्रवाई के दौरान अजीज गिरफ्तार किया गया था। आसिया ने कहा कि ऐसे व्यक्ति को न्यायाधीश के पद पर नियुक्त कर दिया गया है।
मालूम हो कि जमानत रद करने के बाद सिद्दीकी ने पुलिस को आदेश दिया था कि आपातकाल के मामले में मुशर्रफ के खिलाफ आतंकवाद निरोधी अदालत में मामला चलाया जाए।