नई दिल्ली। गांधी नगर रेप कांड में पीड़ित बच्ची गुड़िया के साथ एक आरोपी ने नहीं बल्कि दो लोगों ने रेप किया था। यह खुलासा आरोपी मनोज से पुलिस की हुई पूछताछ में हुआ है। उसने बताया है कि इस घिनौने अपराध में उसका दोस्त भी शामिल है। मनोज से मिली जानकारी के आधार पर एक बार फिर से दिल्ली पुलिस की टीम बिहार के मुजफ्फरपुर रवाना हो गई है। दूसरा आरोपी भी मनोज के पड़ोस में ही रहता है।
जानकारी के मुताबिक उसने ही मनोज को गांधीनगर में रहने के लिए कमरा दिलवाया था। सोमवार को गांधी नगर की मार्किट जब बंद रहती है, उसी दिन इन दोनों ने मिलकर गुड़िया को अगवा किया और उसके साथ लगातार पांच दिन तक कुकर्म किया। बाद में यह दोनों ही लड़की को मरा हुआ समझकर कमरे का ताला लगाकर फरार हो गए थे।
पुलिस से हुई पूछताछ में यह भी सामने आया है कि मनोज आपराधिक प्रवृति का इंसान है। उसपर पहले भी डरा धमका कर पैसे हड़पने, चाकू से हमलाकर घायल करने जैसे मामले दर्ज हैं। गांववालों की मानें तो उसने अपनी पत्नी के साथ भी शादी से पहले जोर-जबरदस्ती की थी। बाद में पंचायत का दबाव होने के बाद उसको महिला से शादी करनी पड़ी थी।
मनोज के खिलाफ औरई में भी पहले से ही पैसे हड़पने का मामला दर्ज है। दो साल पहले भरथुआ के राजेंद्र साह ने औराई थाना में मनोज व उसके परिजनों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी। राजेंद्र की पत्नी पवित्र देवी बताती हैं कि परिजनों के साथ मिलकर मनोज ने दिल्ली वाले उनके घर को गिरा दिया था। 10 हजार रुपये हड़प लिए। भरथुआ में उनके पति व पुत्र कामोद का सिर फोड़ दिया था।
इसके अलावा तीन वर्ष पहले दिल्ली में ही मनोज ने भरथुआ निवासी शिवशंकर राय के पुत्र उत्तम कुमार के गले पर चाकू से वार कर दिया था। उसके गले में आज भी जख्म है। इस मामले की प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई। मनोज ने चौथी क्लास में ही स्कूली पढ़ाई छोड़ दी थी।
मनोज के पिता बिंदेश्वर साह पिछले 20 साल से दिल्ली में सपरिवार रह रहे हैं। सीलमपुर के कौशिकपुरी, गली नंबर एक में धर्म सिंह के मकान में वह किरायेदार हैं। चार पुत्रियों व दो पुत्रों में मनोज सबसे बड़ा है। दिल्ली में वह कपड़ों की रंगाई का काम करता था। गांव में मनोज के दादा धीरा साह व दादी महासुंदर देवी रहती हैं।
लोग-बाग मनोज को भूलने की बात कह रहे और वह जन्म-जन्मांतर उसे ही पति रूप में पाने की हसरत पाले हुए। मनोज ने ऐसा किया होगा, उसे यकीन नहीं। अर्चना कहती है, ‘जो खुद मेरा श्रृंगार करता था, अपने हाथों सजाता-संवारता था, वह ऐसा नहीं कर सकता।’
मनोज की सास बताती हैं कि सगाई के एक माह बाद अर्चना ने अचानक शादी से इन्कार कर दिया। शादी तो रूक गई, लेकिन मनोज के साथ मोबाइल पर उसका संपर्क बना रहा। साल भर बाद कहीं और शादी तय हुई, लेकिन तब तक अर्चना का दिल मनोज पर आ चुका था। स्थानीय दुर्गा मंदिर में दोनों की शादी हो गई।
26 जनवरी, 2012 को मनोज की शादी हुई थी। शादी के बाद पत्नी अर्चना को लेकर वह दिल्ली चला गया था। अगस्त, 2012 में वह अपने गांव भरथुआ लौटा, जहां पत्नी को छोड़कर वह दिल्ली लौट गया। होली में वह अर्चना को भरथुआ से लेकर ससुराल चिकनौटा आया था। पत्नी को बाद में आने को कहकर वह दिल्ली चला गया। अर्चना दिल्ली जाने की तैयार कर रही थी कि तभी मनोज चिकनौटा पहुंच गया।