दीपक ठाकुर:NOI।
हमारी सरकार स्वच्छता को लेकर जितनी सजग है उतने ही लापरवाह हैं उन्हीं विभाग के सफाई कर्मचारी।उन्ही की बदौलत सड़क और मोहल्ले में गंदगी का बोलबाला रहता है जिससे वहां रह रहे लोगो का स्वास्थ्य खतरे में पड़ जाता है।
नगर निगम के ज़िम्मेवारी होती है कि वो शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखे और इसीलिए नगर निगम में सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति भी एक मोटी तनखाह पर की जाती है।लेकिन जब सफाईकर्मी ही अपनी हेकड़ी से काम करेगा तो अंजाम कैसा होगा इसकी एक मिसाल हमे ठाकुरगंज की लाल कालोनी में देखने को मिली जहां गलियों में गंदगी का अंबार लगा था कूड़ा उठाने की गाड़ी भी थी मगर सफाई कर्मचारी गंगाराम वही कूड़ा उस गाड़ी में डाल रहा था जो उसे सही लग रहा था मोहल्ले वाले उनसे सफाई करने की गुहार करते दिखाई दिए लेकिन गंगाराम हाथ धोकर वहां से निकल लिए।
यही नही उनसे दरवाज़े के बाहर पड़े गोबर को उठाकर फेकने का जब आग्रह किया गया तो साहब अपने ठेकेदार तक पर उखड़ गए हालांकि ठेकेदार के दबाव में गोबर तो समेट लिया पर गंदी पड़ी नालियों पर हाथ नही लगाया जिस कारण वहां की महिलाएं काफी दुखी दिखाई दीं और कहने लगी के महीने में एक आध बार ही दिखाई देते हैं और अगर ठीक से सफा करने को कहा तो उल्टा सीधा बोलते हैं।वहां के लोगो से पता चला कि गंगा राम काम ऐसे नही करते हैं सरकारी तनखाह के अलावा भी काम के बदले दाम तय होने पर ही अपने फ़र्ज़ को पूरा करते है जिसने दिया उसका साफ रहेगा जो नही देगा उसके घर के आगे गंदगी का साम्राज्य रहेगा।