नगर पालिका की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन की शुरू हुई लहर……..बहराइच :(अब्दुल अज़ीज़)NOI :- सरकार की सरपरस्ती में चल रहे स्थानीय नगर पालिका परिषद के अधिशाषी अधिकारी ने एक तुगलकी फरमान जारी कर हाऊस टैक्स,स rdxफाई शुल्क और आम इंसान की ज़रूरतों को नज़रअन्दाज़ करके नागरिकों से भारी वसूली की योजना को अंतिम रुप दे दिया है।जिनके ख़िलाफ़ जनांदोलन शुरू किया जाएगा।
समाजसेवी सलीम सिद्दीकी ने आज यहाँ इस साज़िश का पर्दा फाश करते हुए बताया कि सरकार के दो शासनादेशों के अनुपालन में बहराइच नगर पालिका के प्रशाशक ने समाचार पत्रों में तीन विज्ञप्ति छपवाकर हाऊस टैक्स की दर 1000 वर्गफीट के मकान पर 2500/-प्रति वर्ष के अलावा शहरी इलाक़े के ठेलेवालों,दुकानदारों,प्राइवेट प्रैक्टिशनर्स/चिकित्सकों,अस्पतालों, होटलों, रेस्टोरेंट और लॉजों पर 1000 गुना टैक्स प्रस्तवित कर दिया है।शादी के लिए नगर पालिका का मैदान और हाल अभी तक 2000/-किराए में मिलता था जो अब 25000/-में मिलेगा।
श्री सिद्दीकी ने बताया कि सबसे दिलचस्प बात ये है कि अब बहराइच में मग़रूर मोदी और योगी का स्वच्छ्ता अभियान भी जनता की गाढ़ी कमाई से चलेगा।शहर में रहने वाले हर परिवार को अब 30/-महीना प्रति परिवार की दर से सफाई शुल्क भी देना होगा।
प्रत्येक योजनाओं के लिए करोड़ों के बजट के बावजूद नगरवासियों पर सफाई,किरायेदारी,हाऊस-वाटर टैक्स,वाटर चार्ज में भी 500 से लेकर1000 गुना अधिक करना न्याय संगत नही है।
श्री सिद्दीकी ने कहा कि शहर के अधिकांश लोग ग्रह कर,जलकर व अन्य कारों का पूर्व में निर्धारित दर से भुगतान कर रहे हैं।इसके बावजूद सुविधाओं के नाम पर उन्हें गंदा शहर, बजबजाती नालियां और टूटी सड़के चलने को मिल रही हैं।यहाँ तक पालिका के पास अपशिष्ट को इकट्ठा करने का कोई स्थान अभी तक नही है।श्री सिद्दीकी के अनुसार सरकारी आंकड़ों में साफ पीने का पानी,साफ सुथरे मूत्रालयों और गंदगी की वजह से बहराइच शहर देश के सबसे गंदे शहरों में चुना जा चुका है।
श्री सिद्दीकी का आरोप है कि सरकार स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारी में है और इससे पूर्व नए कर को प्रस्तावित करना इस बात को दर्शाता है कि पूर्व बोर्ड ने 4 वर्ष पुराने शाशनदेश पर कोई करवाई नही की थी जिसके नतीजे में अब प्रशाशक को मनमानी करने का मौक़ा मिल गया है।
श्री सिद्दीकी ने नगरवासियों से अपील की है कि गजट के अनुसार 5 सितम्बर तक बड़ी संख्या में आम नागरिक इस फैसले के ख़िलाफ़ आपत्ति दर्ज कराए और उसकी एक प्रति मुझे भी दें ताकि इस लड़ाई को उच्च न्यायालय तक लड़ी जा सके।