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Monday, September 16, 2024

नरेश अग्रवाल जी और आज़म ख़ान साहब आप भी तो नाचने गाने वाले हो !

नवेद शिकोह

समाजवादी पार्टी में आप लोग साथ थे तब भी एक दूसरे को काटने को दौड़ते थे। नरेश भाजपाई हो गये तो अब तल्खियां और भी बढ़ जाना स्वाभाविक है। लेकिन नाचने-गाने वाला बोल कर आप दोनों ही देश के कलाकारों को समय-समय पर अपमानित करते रहे हो। इस मामले में आप लोग हम ख्याल हो। यहां आप दोनों के विचार एक हैं। इसलिए आप दोनों से कुछ सवाल कर रहा हूं।

ज़रा बताइये देश-दुनिया का कौन ऐसा शख्स है जो नाचता गाता नहीं है। आप लोग खुद भी मौका-बा-मौका नाचते गाते होंगे। तो फिर नाचने-गाने वालों को
हीन दृष्टि से क्यों देखते हैं आप।

आज़म साहब जरा बताइये एक रिदम और लय में अज़ान देने वाले मुल्ला को भी क्या आप हीन दृष्टि से देखते हैं !
मिलाद, नात, मुनाजात, कव्वाली, मर्सिया नौहा… गाया ही तो जाता है।
हर मुसलमान की तरह आप भी नमाज के वक्त गर्दन नचाते ही होंगे।
इस्लाम पर सच्चा अकीदा रखने वाला खुदा को सच्चे मन से महसूस करता है तो उसका जिस्म कपकपाने लगता है। उसे लरज़ा आ जाता हैं।
आपके पार्टी मुखिया ने जरूर कभी आपको अपनी उंगलियों पर नचाया होगा।
हज के वक्त हर मुसलमान की तरह काबा शरीफ के इर्द-गिर्द आप भी गोल-गोल नाचे होंगे। (हज जैसे अनुष्ठान में काबे के इर्द-गिर्द घूमने को तवाफ कहते हैं। हज में ये क्रिया अनिवार्य है।)
कुरआन शरीफ की तिलावत में झूमना (शरीर का ऊपरी हिस्सा ऊपर-नीचे करने) सुन्नत है।

नरेश अग्रवाल जी आपके धर्म और समाज में ही क्या सम्पूर्ण भारतीय समाज/देश-दुनिया का हर इंसान मरते दम तक नाचता-गाता रहता है।
कीर्तन-भजन पर किस हिन्दू ने अपनी गायन शैली नहीं आजमाई होगी ? कथा-सत्संग गायन शैली के बिना अधूरी है। योगा हो या जॉगिंग, इसमें भी बिना नाचे कहां काम चलने वाला। तुलसीदास, कबीर… की रचनायें गायन शैली में क्यों हैं ?

हर इंसान पूरी जिंदगी नाचते-गाता रहता है। हर जिन्दा इंसान का दिल जब नाचना-गाना(धड़कना) बंद कर देता है तो वो संसार छोड़ देता है। वो मुर्दा हो जाता है।
नरेश जी.. आजम साहब आप लोग जिन्दा हैं। आप और आपके समाज का हर शख्स किसी ना किसी रूप में नाचता-गाता होगा।
कलाकार आम इंसानों में खास होता है क्योंकि इसका नाच-गाना अद्भुत होता है। भारतीय समाज में कलाकारों को विशिष्ट दर्जा मिला है। कला और कलाकार की इज़्ज़त कीजिए। इसे हीनभावना से नहीं इज्जत के नजरिए से देखिए। नाचते-गाने से दुनियां भी संवरती है और आख़रत (परलोक) भी।
फिर भी यदि आपको नाचना-गाना पसंद नहीं है तो आप लोग समाजवादी पार्टी.. भारतीय जनता पार्टी छोड़कर मुर्दा समाज पार्टी बना लें।

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