इलाहाबाद। करीब डेढ़ दशक बाद यूपी की सत्ता में वापसी का ख्वाब देख रही बीजेपी यहां बिना किसी चेहरे के ही सियासी संग्राम में मुकाबला करने उतरी है। पार्टी की रणनीति यहां महाराष्ट्र और हरियाणा की तरह ही बिना सीएम कैंडिडेट के चुनाव लड़ने की है। पार्टी का मानना है कि दर्जन भर से ज़्यादा बड़े दावेदार होने की वजह से किसी एक चेहरे को प्रोजेक्ट करने से बाकी नेता नाराज़ होकर अंदरखाने बगावत कर सकते हैं।
हालांकि बीजेपी ने यह तय कर रखा है कि अगर यूपी में पार्टी की सरकार बनती है तो किसे सीएम बनाया जाना है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ पार्टी हाईकमान ने सरकार बनने पर सीएम के लिए तीन नामों का एक पैनल तैयार कर लिया है। तीनो को अलग-अलग ज़िम्मेदारिया भी दी गई हैं और उनकी परफार्मेंस व उस वक्त के हालात के आधार पर इन्ही तीन में से किसी एक चेहरे को सीएम बनाया जा सकता है। ख़ास बात यह है कि यह तीनों ही नाम बेहद चौंकाने वाले हैं और यूपी के पार्टी कार्यकर्ताओं व आम जनता की उम्मीदों से परे भी हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ बीजेपी ने सीएम के लिए जिन तीन नामों का पैनल तैयार किया है, उसमे सबसे पहला नाम श्रीकांत शर्मा का है। श्रीकांत शर्मा पार्टी के राष्ट्रीय सचिव हैं। मीडिया मैनजेमेंट कमेटी के चेयरमैन हैं और साथ ही मीडिया रिलेशनशिप डेवलपमेंट कमेटी के मेंबर भी हैं। श्रीकांत शर्मा पीएम मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेहद करीबियों व विश्वसनीय लोगों में शुमार किये जाते हैं।
श्रीकांत शर्मा इससे पहले सिर्फ संगठन की राजनीति करते थे और चुनावी सियासत से दूर रहते थे, लेकिन पार्टी ने यूपी विधानसभा चुनाव में उन्हें मथुरा से टिकट दिया है। मथुरा श्रीकांत शर्मा की जन्मभूमि है। श्रीकांत शर्मा की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी से हुई है और एबीवीपी में रहते हुए उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है।
वह आरएसएस के बेहद सक्रिय व मजबूत नेताओं में गिने जाते हैं। तकरीबन पैंतालीस साल के श्रीकांत शर्मा युवाओं में खासे लोकप्रिय हैं। उनकी छवि कट्टर नहीं हैं और वह विकासवादी सोच रखते हैं। ब्राह्मण परिवार में जन्मे श्रीकांत शर्मा को सीएम पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है।
बीजेपी के संभावितों के पैनल में दूसरा नाम पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाती सिद्धार्थ नाथ सिंह का है। सिद्धार्थ नाथ सिंह बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता हैं। वह पार्टी में सेन्ट्रल एंड स्टेट गवर्नमेंट्स की गुड़ गवर्नेंस कमेटी के प्रोग्राम कोआर्डिनेटर हैं। सिद्धार्थ नाथ इस वक्त आंध्र प्रदेश के प्रभारी और पश्चिम बंगाल के सह प्रभारी हैं।
संघ से उनका ज़्यादा जुड़ाव नहीं हैं लेकिन बीजेपी में वह पिछले बीस सालों से अहम ज़िम्मेदारियां निभा रहे हैं। तकरीबन पचास साल के सिद्धार्थ नाथ सिंह पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की दूसरी बेटी के बड़े बेटे हैं। उनके मौसेरे भाई चौधरी नौनिहाल सिंह यूपी सरकार में कई बार मंत्री रह चुके हैं।
पीएम मोदी की पसंद पर उन्हें इलाहाबाद की उस सिटी वेस्ट सीट से उम्मीदवार बनाया गया है, जो बाहुबली अतीक अहमद के दबदबे वाली है और उसकी पहचान बाहुबली व आपराधिक छवि के नेताओं से है। अब तक संगठन की राजनीति करने वाले सिद्धार्थ नाथ को भी पार्टी यूं ही विधानसभा चुनाव नही लड़ा रही है। श्रीकांत शर्मा के बाद वह दूसरे सबसे बड़े दावेदार हैं। सिद्धार्थ नाथ को उसी इलाहाबाद से चुनाव लड़ने के लिए भेजा गया है, जहाँ से उनके नाना शास्त्री जी चुनाव लड़कर देश के पीएम बने थे।
बीजेपी के संभावित सीएम में तीसरा नाम पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और लखनऊ के मेयर डॉ दिनेश शर्मा का है। दिनेश शर्मा बीजेपी के कद्दावर नेताओं में हैं। पार्टी पर उनकी मजबूत पकड़ है। राजधानी लखनऊ का होने की वजह से वह समूचे यूपी की सियासत पर पकड़ रखते हैं।
दिनेश शर्मा भी आरएसएस के पुराने सदस्य हैं। तिरपन साल के दिनेश शर्मा लखनऊ यूनिवर्सिटी में कॉमर्स डिपार्टमेंट में प्रोफ़ेसर हैं। उन्हें भी पीएम मोदी के बेहद करीबियों में शुमार किया जाता है। हालांकि उन्हें सीधे तौर पर विधानसभा का चुनाव न लड़ाए जाने से उनका पलड़ा थोड़ा कमज़ोर है, लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में उनके दखल और पीएम मोदी के करीबियों में शुमार होना उन्हें श्रीकांत शर्मा और सिद्धार्थ नाथ सिंह के ऊपर भी ले जा सकता है।