चेन्नई।तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री स्व. जे. जयललिता की प्रथम पुण्यतिथि पर उनकी समाधि के पास जनसैलाब उमड़ पड़ा। चारों ओर की सडक़ें जाम हो गई। वाहन तो क्या पैदल यात्रियों का आवागमन भी पूरी तरह थम गया। सबसे अधिक भीड़ एआईएडीएमके की ओर से निकाली गई रैली में उमड़ी। रैली में मुख्यमंत्री एडपाड़ी के. पलनीस्वामी एवं उप-मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया। रैली में पार्टी समर्थकों ने काले परिधान धारण किए हुए थे। यह रैली अण्णा सालै होते हुए मरीना बीच स्थित अम्मा के स्मारक के पास पहुंची जहां मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों एवं पार्टी नेताओं ने अम्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की।
समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए लोगों में हौड़ सी मच गई। लोगों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। शहर में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए करीब ४००० पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। अम्मा की पहली पुण्यतिथि पर महानगर समेत राज्यभर में अलग-अलग स्थानों पर श्रद्धांजलि की व्यवस्था की गई। इस दौरान सुरक्षा कड़ी रखी गई।
जयललिता की प्रथम पुण्यतिथि को मद्देनजर रखते हुए एआईडीएमके की ओर से सोमवार को पूरे महानगर में अम्मा के पोस्टर, बैनर, कटआउट और होर्डिंग्स लगाए गए। इसी कडी में कोयम्बत्तूर में अविनाशी रोड पर जयललिता की प्रतिमा का अनावरण भी किया गया था।
जयललिता की मौत पर सस्पेंस!
जयललिता को पिछले साल यानी 2016 के सितंबर माह में चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां करीब 75 दिन भर्ती रहने के बाद उन्होंने 5 दिसंबर को आखिरी सांस ली थी। जयललिता की मौत पर लगातार सवाल खड़े किए जा रहे हैं। खुद राज्य के उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम की जयललिता की मौत की लगातार जांच की मांग करने के बाद राज्य सरकार द्वारा एक सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था।
पुण्यतिथि मनाने पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इनकार
मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की ओर से 5 दिसंबर को पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय जे. जयललिता की पुण्यतिथि मनाने पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है। जयललिता की प्रथम पुण्यतिथि मनाने पर रोक की मांग को लेकर आर. कुमारवेल ने चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस आर. हेमलता की प्रथम खंडपीठ के समक्ष याचिका दायर की थी। जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित आयोग का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि अदालत ऐसे विवादों पर फैसला नहीं दे सकती है कि दिवंगत मुख्यमंत्री के लिखे पत्र वास्तव में उन्होंने लिखे थे या नहीं।
अदालत के पास ऐसी विशेषज्ञता या अनुभव नहीं है कि वह अंगूठे के निशान, जो शायद लिए गए होंगे, के आधार पर मृत्यु का दिन तय कर सके। पीठ ने कहा कि इस याचिका में जनहित जैसा कुछ भी नहीं है। आयोग मौत के कारणों और तिथि की जांच कर रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा था कि उसे मुख्यमंत्री पलनीस्वामी या एआईएडीएमके की ओर से पार्टी स्तर पर जयललिता की पुण्यतिथि का आयोजन करने पर कोई एतराज नहीं है।