नई दिल्ली एजेंसी। दिल्ली के वसंत विहार में दरिंदगी की शिकार निर्भया के गैंगरेप मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से मिली मौत की सजा के खिलाफ दोषियों द्वारा दायर की गयी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की जाएगी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर चारों दोषियों अक्षय, पवन, विजय और मुकेश को फांसी की सजा सुनाई थी। शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में यह फैसला सुनाया गया था।
23 वर्षीय फिजियोथेरैपी इंटर्न के साथ चलती बस में 6 लोगों ने गैंगरेप के बाद उसके ब्वॉयफ्रेंड समेत उसे सड़क पर फेंक दिया था। जिसके बाद दक्षिणी चार साल पहले 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान युवती की मौत हो गई थी।
इस घटना के बाद देश में हर जगह प्रदर्शन का दौर रहा। उसमें से एक आरोपी राम सिंह ने जेल में ही फांसी लगा ली जबकि एक अन्य जुवेनाइल को तीन साल के लिए रिफार्म होम में भेज दिया गया।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व अदालत ने पिछले साल 4 अप्रैल को इस मामले की अंतिम बहस की सुनवाई के दौरान बतौर न्यायमित्र दो वरिष्ठ वकीलों रामचंद्रन और संजय हेगड़े को नियुक्त किया था। रामचंद्रन दोषी मुकेश और पवन की अपील में कोर्ट की सहायता करेंगे। वहीं दो अन्य दोषी विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह की अपील में हेगड़े अदालत की सहायता करेंगे।
हेगड़े के अनुसार, घटना के वक्त दोषियों में से एक मुकेश मुख्य अपराधी राम सिंह के साथ नहीं था क्योंकि उस रात दोनों के मोबाइल का लोकेशन अलग अलग जगह का है।