पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अचानक इस्तीफा देने से राजनीतिक गलियारे में हलचल मच गई है। अब लाेगाें काे लग रहा है कि नीतीश बीजेपी का समर्थन हासिल करके फिर सीएम की कुर्सी पर काबिज हो जाएंगे। लेकिन लालू यादव को करीब से जानने वाले लोगों को ऐसा होता नहीं दिख रहा है। उनकी मानें तो लालू एकबार फिर अपने सियासी गणित से अपनी पार्टी को प्रदेश की सत्ता पर काबिज करा सकते हैं।
राजनीति में सबकुछ संभव
आप सोच रहे होंगे कि ऐसा मुमकिन नहीं है। लेकिन राजनीति में कोई दोस्ती या दुश्मनी स्थाई नहीं होती। आपको बता दें कि 243 सदस्यों वाली बिहार विधान सभा में आरजेडी के 80, कांग्रेस के 27, जेडीयू के 71 और बीजेपी के 53 विधायक हैं। बीजेपी के सहायक दलों के कुल पांच विधायक हैं। विधान सभा में बहुमत के लिए कुल 122 विधायकों का समर्थन चाहिए।
लालू अपना सकते हैं फूट डालो और राज करो की नीति
आरजेडी प्रमुख लालू यादव जदयू में फूट डालो और राज करो की नीति अपना सकते हैं। अगर नीतीश बीजेपी के साथ जाते हैं तो कांग्रेस लालू के साथ हर हाल में रहेगी। ऐसे में लालू यादव को बहुमत के लिए केवल 15 अतिरिक्त विधायकों की जरूरत होगी। खबरों के मुताबिक जेडीयू के करीब 20 विधायक और 12 में से 6 सांसद मौजूदा निजाम से खफा हैं। ऐसे में लालू यादव की कोशिश होगी कि वो जेडीयू के इन असंतुष्टों के जख्मों को कुरेंदे और बगावत की आग भड़काकर अपनी रोटी उस पर सेंक लें।