सीतापुर-अनूप पांडेय.योगेश शुक्ला
/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर जिले मे नैमिसारण्य तीर्थ पूरे विश्व मे जाना जाता है देश समाज और सनातन धर्म की रक्षा के लिये ही नैमिषारण्य के संत और देवता मानव जीवन की रक्षा के लिये हर समय प्रयास रत है। सन्त कभी भी अपने परिवार के लिये नही सोचता है । ब्रह्मलीन स्वामी विवेकानन्द सरस्वती महराज की 37 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर नैमिषारण्य मे आयोजित कार्यक्रम की अध्य्क्ष्य्ता करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पूज्य श्री नरेंद्र गिरी जी महराज ने कही। इसी क्रम मे श्रधान्जली समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं दूधे स्वर नीथ मठ गाजियाबाद के महंत नारायण गिरी जी महराज ने कहा कि वर्तमान समय को देखते हुए
साधू सन्तो के अलावा समाज के हर व्यकिति को सनातन धर्म की एवं भारतीय संसकृति की रक्षा के लिये आगे आना पडेगा। विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे दंडी स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने बोलते हुए कहा कि सन्त समाज जहा पर भी बैठ जाते हैं वहीं पर तीर्थ बन जाता है। इस श्रधान्जली समारोह के आयोजक व सयोन्जक उत्तर प्रदेश अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी विद्या चैतत्न्य जी महराज ने श्रधान्जली समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पूज्य महराज गुरदेव बृह्म्लीन स्वामी नारदा नंद जी महराज सनातन धर्म की पताका को फहराने का संकल्प लिया गया था उसको हम सभी सन्त जन मिलकर पूरा करने का प्रयास कर रहे है इसी कडी मे आज 37 वी पुण्यतिथि के अवसर पर गुरूदेव भगवान को श्रधान्जली देने के लिये एक समारोह का आयोजन किया गया जिसमे देश के विभिन्न जगहों से प्रतिष्ठ्त महामंदलेस्वरो को आमंत्रित कर सम्मानित किया जा रहा है यह अपने आप मे एक अनूठा कार्यक्रम है। इस अवसर पर श्रधान्जली समारोह में आए महा मंडलेस्वर श्री जय किशन गिरी नवल गिरी जी स्वामी शंकरा आश्रम गिरी जी महाराज स्वामी स्वबौधा नंद जी महराज महंत सुरेश दास जी महराज अयोध्या के अलावा सैकड़ो की संख्या मे आए साधू संतो को अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर विशेष रूप से स्वामी जी द्वारा समारोह में उपस्थिति हरदोई के भाजपा जिलाध्यक्ष सौरभ मिश्रा कान्पुर से आए महेंद्र सिंह यादव मिशन आत्म संतुष्टि के संचासलक राज बर्धन सिंह राजू के अलावा कार्यक्रम का संचालन कर रहे संजीव श्रीवास्तव पत्रकार को भी अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया हरिनाथ सिंह धीरेंद्र श्रीवास्तव आदि भक्त गणो ने साधु संतो के दर्शन पाकर धंन्य हुये