नई दिल्ली, एजेंसी।आयकर विभाग पिछले साल 8 नवंबर को (नोटबंदी की रात) कालेधन से सोना खरीदने वालों तक अभी तक नहीं पहुंच सका है। अब इन्वेस्टिगेशन विंग ने भी मान लिया है कि ऐसे लोगों पर कार्रवाई करना मुमकिन नहीं है। कानून का हवाला देकर विंग के अफसरों ने खुद को लाचार करार दे दिया है। रातोरात पुराने नोट और काला धन खपाने के लिए हुए इस कारोबार के बाद आयकर व तमाम जांच एजेंसियों ने दावे किए थे कि ऐसे खरीदार बच नहीं सकेंगे। इनका पता लगाकार कार्रवाई की जाएगी।
सालभर बाद ऐसे किसी भी मामले में आयकर के क्षेत्रीय कार्यालय से कार्रवाई नहीं हो सकी। अब प्रिंसिपल डायरेक्टर इन्वेस्टिगेशन आर.के. पालीवाल ने कहा है कि मौजूदा कानून के कारण कार्रवाई संभव नहीं है। पालीवाल के मुताबिक कानूनन दो लाख रुपए तक का सोना नकद खरीदने की छूट है। खरीदने-बेचने वालों ने कानून का लाभ लेते हुए जानबूझकर सीमा के मुताबिक बिल बनाए। ऐसे में कोई कानून से अलग जाकर कार्रवाई नहीं कर सकता। विशेषज्ञ और सीए आयकर की लाचारी के पीछे जांच में देरी को भी वजह मानते हैं।
दरअसल, विभाग को भी जमा नकदी के आंकड़े 1 जनवरी को मिले। दो महीने से ज्यादा के समय में तो ज्वेलर्स ने अपने अकाउंट्स, बुक्स सब मैनेज कर लिए। इसके बाद आयकर की टीम ज्वेलर्स के यहां जांच के लिए पहुंची, लिहाजा खरीदारों के बारे में सुराग मिलना मुमकिन नहीं था। सभी ज्वेलर्स ने इस दौरान के अपने सीसीटीवी फुटेज भी हटा दिए थे। आयकर ने भोपाल में कुछ खरीदारों को नोटिस जारी किए थे। वे भी ऐसे थे, जिन्होंने दो लाख से ज्यादा के एकमुश्त बिल बनवा लिए थे और जहां ज्वेलर्स ने भी खरीदारों से पेन कार्ड ले लिए थे।