नई दिल्ली। नागपुर में इस साल मार्च के महीने में फूड पार्क के लिए राज्य सरकार द्वारा बाबा रामदेव को सस्ते दामों में जमीन उपलब्ध कराने के मामले में नई जानकारी सामने आई है। खबर है कि इस मामले में पब्लिक आरटीआई डॉक्युमेंट बनाने में मदद करने वाले दो सूचना अधिकारियों (पीआईओ) का एक हफ्ते बाद ही तबादला कर दिया गया था। ऐसा माना जा रहा है कि ये कार्रवाई अधिकारियों को आरटीआई का जवाब देने के खिलाफ की गई।
बता दें कि सरकार पर आरोप है कि उसने बाबा की कंपनी को 1 करोड़ रुपये प्रति एकड़ के भाव वाली जमीन सिर्फ 25 लाख रुपये एकड़ के भाव में दी थी। पतंजलि आयुर्वेद नागपुर में 600 एकड़ जमीन में फूड पार्क बनाना चाहती है। इससे पहले 8 मार्च को टाइम्स ऑफ इंडिया ने पतंजलि आयुर्वेद को लाभ पहुंचाने वाली इस डील का विरोध करने वाले अफसर विजय कुमार का तबादला के खबर को प्रमुखता से छापा था। सीनियर अधिकारियों और फाइनैंशल रिफॉर्म्स के प्रिंसिपल सेक्रटरी विजय कुमार ने ‘प्राइज वार’ के इस मुद्दे पर सवाल उठाया था।
इस मामले में दायर आरटीआई के जवाब में जमीन के पैसे कम कर पंतजलि को लाभ पहुंचाने की प्रक्रिया की पूरी जानकारी दी गई है। यह जमीन महाराष्ट्र एयरपोर्ट डिवेलपमेंट कंपनी (एमएडीसी) से जुड़ी है। दायर आरटीआई की अपीलों को तत्कालीन मुख्य सूचना आयुक्त रत्नाकर गायकवाड़ के पास भेजा गया था। उन्होंने तब एमएडीसी प्रभारी विश्वास पाटिल को समन भेजकर सुनवाई के दौरान पेश होने के लिए कहा था। हालांकि इसके 12 दिनों बाद ही कंपनी के दो सूचना अधिकारियों के ट्रांसफर की सूचना आई। ये दोनों सुनवाई के दौरान भी शामिल हुए थे।
एमएडीसी के मार्केटिंग मैनेजर और नागपुर ब्रांच में पीआईओ अतुल ठाकरे का तबादला मुंबई हेडऑफिस में और मार्केटिंग मैनेजर समीर गोखले को मुंबई से नागपुर ब्रांच में भेजा गया। जबकि ठाकरे चार साल से अपनी पोस्ट पर थे वहीं गोखले की नियुक्ति चार महीने पहले ही हुई थी। इस बारे में ठाकरे ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘कंपनी के पूर्व एमडी ने मेरे प्रमोशन की बात कही थी लेकिन अचानक मेरा ट्रांसफर हो गया। वहीं गोखले कहते हैं कि ट्रांसफर प्रशासनिक कारणों से किया गया है।
एमएडीसी प्रमुख विश्वास पाटिल ने पद से रिटायर्ड होने के बाद से तबादले से जुड़े किसी कॉल या मेसेज का रिप्लाई नहीं किया। पाटिल वर्तमान में स्लम री-डिवेलपमेंट अथॉरिटी के प्रमुख के रूप में अपनी फाइल की मंजूरी पर जांच का सामना कर रहे हैं। एक एमएडीसी अधिकारी ने कहा कि ट्रांसफर रुटीन का हिस्सा है। उसने आगे कहा कि यह संभव है कि नए लोगों को नागपुर में हमारे फील्ड ऑफिस भेजा जाता है और अनुभवी मार्केटिंग मैनेजर को मुंबई हेड ऑफिस में।
पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने इस मामले में कहा कि इस नियम का पालन करने पर अत्याचार का साफ मामला है। इससे अधिकारियों को सूचना उपलब्ध कराने में परेशानी होगी और यह एक गलत मिसाल पेश करता है। वहीं महिति अधिकार मंच के संयोजक भास्कर प्रभु मानते हैं कि तबादले के समय से यह पता चलता है कि उन्होंने सोच विचारकर ऐसा कदम उठाया जो कि आरटीआई की भावना के खिलाफ है। भास्कर ने यह भी कहा कि यदि दोनों पीआईओ सूचना उपलब्ध कराने में अपनी अरुचि जाहिर करते तो उनपर राज्य सूचना विभाग द्वारा 25000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता था।