सरफराज अहमद की रिपोर्ट
नानपारा, बहराइच। देश की प्राचीन संस्कृति के मुताबिक जहां हर ओर करवा चौथ के दिन अपने अपने पतियों के लिये सुहागिन महिलाओं ने पूरे दिन भूखे प्यासे रहकर निर्जला व्रत रखा वहीं कई स्थानों पर विविध तरीकों से रात्रि चन्द्र दर्शन के बाद पूजा पाठ देखने को मिला। हिंदू धर्म की परंपरा के अनुसार नानपारा क्षेत्र में भी सुहागिनों ने पूरे दिन निर्जला उपवास के बाद चन्द्र दर्शन करते हुए शिव पार्वती की पूजा अर्चना की और अपने अपने पतियो के हाथों जल पीकर व्रत पूर्ण किया। कई स्थानों पर महिलाएं दीवार पर शिव पार्वती, गणेश, पेड़ पौधे, जीव जंतु, सूरज चंद्रमा, करवा और अन्य रोजमर्रा की वस्तुओं का रंगीन चित्र बनाकर पूजा पाठ करते दिखीं, जबकि इसके अलावा कई महिलाओं ने आँगन में चौक पर करवा रखकर दीपक जलाते हुए कहानियां कहकर आकर्षक तरीके से अपने ईष्ट से पति के लिए आरोग्य लंबी उम्र की कामना की। मान्यता है कि करवा चौथ की रात्रि से करवा की टोंटी से जाड़ा निकलता है जहाँ से शरद ऋतु की शुरुआत होती है। किंवदंतियां हैं कि करवा चौथ व्रत सुहागिनों के जीवन का उत्कृष्टतम व्रत है जिसे वे अपने पति का साथ लंबे समय तक पाने के लिए करती हैं।