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Monday, January 20, 2025

परम्पराओं की बेंडियां तोड़, लोगों को जागरूक कर रहीं सकूरा…….

परम्पराओं की बेंडियां तोड़, लोगों को जागरूक कर रहीं सकूरा…….
गुलाब महिला समूह के सदस्यों के साथ मिलकर, कर रहीं माँ और नवजात की देखभाल

बहराइच :(अब्दुल अजीज)NOI:- शिवपुर ब्लाक के 40 गावों मे राजीव गांधी महिला विकास परियोजना के तहत गठित छोटे छोटे महिला समूह, अपनी आजीविका के साथ साथ महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल भी कर रहे हैं | अटैच सखी के माध्यम से गर्भवती महिला की सूचना मिलते ही समूह की महिलाएँ सक्रिय हो जाती हैं और तब तक उस महिला का सहयोग करती हैं, जब तक कि उनका प्रसव नहीं हो जाता | शिशु जन्म से लेकर 28 दिनों तक नवजात शिशु देखभाल हेतु ये उनके घर भी पहुँचती हैं | इन समूहों के प्रयास से समुदाय मे माँ एवं बच्चे की देखभाल को लेकर जागरूकता बढ़ी है |
जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर शिवपुर ब्लॉक मे बसा ललई पुरवा गाँव प्रत्येक वर्ष बाढ़ की आपदा को झेलता है | इसी गाँव की सकूरा ने बताया कि राजीव गांधी महिला विकास परियोजना के तहत वर्ष 2016 मे गठित “गुलाब महिला समूह” से जुड़ी हुईं हैं और कोषाध्यक्ष के पद पर काम कर रहीं हैं |

सकूरा बताती हैं कि अटैच सखी जो कि समूह की ही एक सदस्य होती हैं, उनके माध्यम से जैसे ही गाँव मे किसी महिला के गर्भवती होने की सूचना मिलती है वैसे ही समूह की महिलाएं उसके घर पहुँचती हैं | महिला को गर्भावस्था से लेकर शिशु जन्म तक, उचित परामर्श, जांच और संस्थागत प्रसव मे उनका सहयोग करती हैं | कम वजन अथवा समय से पहले जन्मे बच्चे के तापमान को समान्य रखने के लिए केएमसी ( कंगारू मदर केयर ) भी करवाती हैं | इसी गाँव की राजिया तीन बेटियों की माँ हैं और गुलाब महिला समूह की सदस्य हैं, बताती हैं कि वर्ष 2004 मे जब पहले बेटे के जन्म के समय उन्हे प्रसव पीड़ा शुरू हुयी तो प्रसव के लिए परिवार के सदस्यों ने उन्हे बैलगाड़ी पर लिटा कर गाँव के चारो ओर कई चक्कर लगवाया | प्रथा यह थी कि बैलगाड़ी के झटकों से प्रसव हो जाएगा | लेकिन ऐसा नहीं हुआ, बाद मे दायी की मदद से घर पर ही मृत शिशु का जन्म हुआ |

यह बताते हुये आज भी उनकी आँखें नम हो जाती हैं | इस गाँव मे ऐसी कई घटनाएँ हैं जिसमे माँ और नवजात शिशुओं को रूढ़िवादिता और अज्ञानता के चलते अपनी जान गवानी पड़ी | लेकिन आज तस्वीर कुछ अलग है सकूरा के अनुसार महिला समूहों की सक्रियता के चलते पिछले तीन वर्षों मे उनके गाँव मे न तो कोई गृह प्रसव हुआ है और न ही किसी भी माँ और बच्चे के साथ कोई अप्रिय घटना हुयी है | पोषण स्तर मे सुधार के लिए समूह के माध्यम से गाँव के आठ परिवारों ने किचेन गार्डेन की स्थापना की है , जिसमे हरी साग सब्जी के साथ साथ फलदार पेड़ भी लगाए जा रहे हैं |

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