झाँसी – स्वर्गाश्रम में अपनी बड़ी बहन की चिता को मुखाग्नि देती छोटी बहन समाज के समक्ष परम्पराओं के मिथक को तोड़ने का एक जीता जागता उदाहरण पेश करती है। बड़ी बहन के गुजर जाने का दर्द उसकी आँखों में आसानी से देखा जा सकता है, पर उसके परिवार में कोई न होना भी उसकी मजबूरी को बयाँ करता है। कोई किसी का न होने के इस दौर में बंगाली समाज के लोगों द्वारा उसकी मदद को आना भी एक सुखद एहसास है। वे दुख तो बाँटने का प्रयास करते ही हैं, क्रिया कर्म में सहयोग भी करते हैं। समाज के लोगों के सहयोग से बंगाली रीति रिवाजों से दाह संस्कार की प्रक्रिया पूरी की गई। इससे पहले सीपरी बाजार में बंगाली समाज की एक लड़की द्वारा अपने पिता को मुखाग्नि दी गई थी।
सीपरी बाजार स्थित रायगंज निवासी असीमा बनर्जी का लगभग 82 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनका परिचय महज इतना भर नहीं कि वे आर्य कन्या डिग्री कॉलेज की उप प्रधानाचार्या रह चुकी थीं। उनके पिता बिपिन बिहारी बनर्जी बिपिन बिहारी इण्टर कॉलेज के संस्थापक थे। उनकी छोटी बहन रमा बनर्जी सनातन स्कूल में शिक्षिका हैं। जब उनकी माँ की मृत्यु हुई, तो असीमा बनर्जी द्वारा ही उनको मुखाग्नि दी गई थी। दोनों बहनों के अविवाहित होने के कारण उनका परिवार नहीं है। बड़ी बहन के गुजर जाने के कारण अब रमा बनर्जी अकेली रह गई हैं।
इस दु:ख की घड़ी में बंगाली समाज के लोग उनका सहयोग करने आगे आये। बंगाली समाज सचिव प्रियांशु डे ने कहा कि समाज के सदस्य होने के नाते सहयोग करना हम सबका फर्ज है। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल में यह चलन आम है।