नेशनल दिल्ली: भाजपा सांसद वरुण गांधी ने एक बार फिर से परिवारवाद पर सवाल किया है। उन्होंने कहा कि अगर मेरे नाम के आगे गांधी नहीं लगा होता तो क्या मैं महज 29 साल की उम्र में सांसद बन सकता था? गुवाहटी में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि मैं ऐसा भारत देखना चाहता हूं जहां ये मायने नहीं रखता कि मैं वरुण दत्ता हूं, वरुण घोष हूं या वरुण खान हूं। मैं ऐसा देश देखना चाहता हूं जहां सभी लोगों को एक समान अधिकार दिया जाए बिना उनका नाम जाने।
परिवारवाद को किया जाना चाहिए खत्म
वरुण ने कहा कि इस तरह की संस्कृति व्यवसाय, किगकेट और फिल्मों में भी है और इसे खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि हिंदुस्तान का सर्वांगीण स्वरूप उभरे, जहां सभी को समानता और अवसर के लाभ मिले। वह सांसदों का वेतन लगातार बढऩे के भी खिलाफ हैं। वरुण ने कहा कि सांसद के रूप में वह अपना वेतन नहीं लेते और लोकसभा अध्यक्ष से कहा कि इसे किसी गैर सरकारी संगठन या जरूरतमंद को दे दें। सरकारी योजनाओं में लोगों का हस्तक्षेप होना चाहिए और जवाबदेही एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लगातार निगरानी आवश्यक है जिससे भ्रष्टाचार स्वत: कम हो जाएगा।
युवाओं को मिलना चाहिए मौका
वरुण इससे पहले भी कई बार गांधी सरनेम पर बयान दे चुके हैं। उन्होंने खुले मंच से कई बार यह स्वीकार भी किया है कि गांधी सरनेम होने का उन्हें फायदा मिला है। वह कई बार कह चुके हैं कि देश को युवाओं की जरूरत है लेकिन परिवारवाद की वजह से देश की लोकसभा बूढ़ी हो रही है। दुनिया के अन्य देशों का जिक्र करते हुए वरुण कहते रहे हैं कि अब हमारे देश में युवाओं को बिना सरनेम देखे उनकी योग्यता के आधार पर मौका मिलना चाहिए।