उत्तराखंड । प्रत्याशी चयन में ‘जिताऊ चेहरे’ के फार्मूले से कांग्रेस ने परिवारवाद को बाहर रख भाजपा को चित्त करने का दांव खेला है।
भाजपा ने जिस तरह ‘मेरा भाई-मेरा बेटा’ को ना तरजीह देने के ‘मोदी मंत्री’ को उत्तराखंड में दरकिनार किया, कांग्रेस अब उसे चुनाव प्रचार अभियान का मुख्य मुद्दा बना सकती है।
परिवारवाद के सियासी गणित के नफे नुकसान को आंकने के बाद ही कांग्रेस सीएम रावत के परिवार से उनके बेटा-बेटी सहित और भी कई नेता के परिवारजनों को उतारने से बची है।
सिटिंग विधायकों के टिकट तक काट डाले
भाजपा ने सत्ता में लौटने के लिए जिस तरह पार्टी के परंपरागत फार्मेट को दरकिनार कर परिवारवाद सहित वे सभी दांव पेच चले, जिसकी पार्टी धुर विरोधी रही है। परिवारवाद से दूरी बनाने वाली भाजपा ने कई परिवारों के मोह में सिटिंग विधायकों के टिकट तक काट डाले।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह के समधी नारायण सिंह राणा को टिकट देने के लिए सिटिंग विधायक महावीर रांगड का धनौल्टी से टिकट काटा, तो यमकेश्वर विधायक विजया बड़थ्वाल का पत्ता साफ कर पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी की बेटी ऋतु खंडूड़ी भूषण को टिकट दे दिया।
कांग्रेस बागी यशपाल आर्य की उनके बेटे को भी टिकट देने तक की शर्त मानने से भाजपा पीछे नहीं हटी। माना यह भी जा रहा है कि कांग्रेस आला कमान ने आर्य के बेटे संजीव को टिकट नहीं दिया, इसी के चलते वे भाजपा में गए। इसके बाद दूसरी सूची में भी भाजपा ने चौहान दंपति मुन्ना और मधु को प्रत्याशी घोषित कर दिया। सूत्रों की माने तो कांग्रेस चुनाव प्रचार में भाजपा पर बड़ा हमला परिवारवाद के नाम पर करेगी, जिसके संकेत सीएम हरीश रावत पहले ही दे चुके हैं।
टीम पीके के सर्वेक्षण
बाहरियों और परिवारवाद से भाजपा कैडर और नेताओं में असंतोष को लेकर टीम प्रशांत किशोर ने सर्वेक्षण भी किया है।
सूत्रों की माने तो भाजपा में परिवारवाद का मुद्दा जिस तरह उनके बागियों द्वारा उठाया जा रहा है उससे सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर आई प्रतिक्रियाओं के साथ ग्राउंड रिपोर्ट भी ली गई है।
इसके बाद कांग्रेस ने चुनाव में भाजपा के असंतोष को चुनावी मुद्दा बनाने के लिए रणनीति तैयार की है। कांग्रेस ऐसी विधानसभाओं को केंद्रित कर सोशल मीडिया पर हमला करने के साथ अपनी रैलियों और जनसभाओं में इस मुद्दे को भुनाएगी।
ऐसे निकाला है तोड़
कांग्रेस आलाकमान के एक ही परिवार से एक ही व्यक्ति के टिकट के फार्मूले को लागू करने के बाद हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव की तैयारी कर रही मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत का टिकट कट गया है।
किच्छा से उनके बड़े बेटे बिरेंद्र का दावा माना जा रहा था, लेकिन वहां भी वह खुद लड़ रहे हैं। हल्द्वानी से विधायक और वित्त मंत्री इंदिरा हृदयेश के बेटे सुमित हृदयेश के लिए पैरवी कर रही थी।
गृहमंत्री प्रीतम सिंह की भी अपने भाई के लिए पैरवी की चर्चा थी, लेकिन सियासी हवाओं में यह चर्चा भी है कि दो सीटों से उतरकर मुख्यमंत्री ने परिवारवाद का तोड़ निकाल लिया है।