लखनऊ NOI : परिवार की समृद्धि और संतान की मंगलकामना के लिए सूर्य उपासना का महापर्व डाला छठ रविवार को भी जिले में परंपरागत ढंग से शुरू हो गया है। पहले दिन नहाय-खाय के साथ श्रद्धालुओं ने विविध कर्मकांड प्रारंभ कर दिए। सीताकुंड तट पर छठ मइया की पूजा के लिए चौरा बनाया गया और साफ-सफाई की गई। सोमवार को खरना है और फिर शुरू होगा 36 घंटे का कठिन निर्जल व्रत। मंगलवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य और फिर बुधवार को अरुणोदय बेला में उगते सूरज को अर्घ्य देकर पर्व की समाप्ति होगी।
क्या है आस्था ?
छठ पूजा को लेकर अनेक मान्यताएं समाज में प्रचलित हैं। कहा जाता है कि रावण वध के बाद कार्तिक की अमावस्या को जब श्रीराम अयोध्या पहुंचे तो उन्होंने ऋषियों-मुनियों की सलाह पर राजसूय यज्ञ किया। जिसमें मुग्दल ऋषि भी आए। उन्होंने भगवती सीता को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्य उपासना का परामर्श दिया। तब मां सीता ने ऋषि मुग्दल के आश्रम में छह दिनों तक सूर्योपासना की थी। तभी से ये परंपरा चली आ रही है।