नई दिल्ली। भारत के पहलवान योगेश्वर दत्त ने दरियादिली दिखाई है। दो दिन पहले ही योगेश्वर के उस ब्रॉन्ज मेडल को सिल्वर में तब्दील कर दिया गया क्योंकि सिल्वर विजेता रूसी पहलवान बेसिक कुदुखोव डोप टेस्ट में फेल हो गए। खुद योगेश्वर ने इसकी पुष्टि भी की लेकिन उन्होंने एक बार फिर ट्विटर का रुख किया और मानवीय संवेदना का हवाला देते हुए बेसिक कुदुखोव का मेडल उनके परिवार के पास ही रहने देने का अनुरोध किया।
33 वर्षीय पहलवान योगेश्वर दत्त ने मानवीय संवेदना का हवाला देते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘बेसिक कुदुखोव एक शानदार पहलवान थे। मौत के बाद उनका डोप टेस्ट में फेल होना दुखद है। खिलाड़ी के रूप में मैं उनका सम्मान करता हूं।
चार बार के वर्ल्ड चैंपियन और दो बार ओलंपिक मेडल जीतने वाले बेसिक कुदुखोव की लंदन में सिल्वर जीतने के एक साल बाद ही एक कार दुर्घटना में मौत हो गई। 2000 के सिडनी ओलंपिक के दौरान और इसके बाद कई डोपिंग के मामले सामने आए थे। अब वाडा पिछले 10 सालों के दौरान मेडल विजेता खिलाड़ियों के सैंपल की दोबारा जांच करवा रहा है और इसके नतीजे के मुताबिक पदकों का पुनःनिर्धारण किया जा रहा है। इसी के तहत कुदुखोव के सैंपल की भी जांच की गई और उसमें प्रतिबंधित पदार्थ की मात्रा पाई गई और इसके बाद ही उनसे सिल्वर मेडल छीन कर उस मुकाबले के ब्रॉन्ज विजेताओं को देने का निर्णय लिया गया।
ऐसा नहीं है कि यह पहला मौका है जब किसी ओलंपिक विजेता से उसका मेडल छीन लिया गया हो। पिछले 48 सालों के दौरान ऐसे 19 मौके आए हैं जब ओलंपिक में गोल्ड जीतने से महरूम रहे खिलाड़ियों को इस महाकुंभ के खत्म होने के कई महीनों के बाद इससे नवाजा गया हो। यानी 1968-2012 के ओलंपिक के खत्म होने के बाद गोल्ड मेडल के 19 नए विजेताओं के नाम घोषित किए गए। इसी तरह 33 खिलाड़ियों को अपग्रेड कर सिल्वर दिया गया जबकि 43 खिलाड़ियों के नतीजे को अपग्रेड कर उन्हें ब्रॉन्ज से नवाजा गया।