नई दिल्ली। सभी शहरी गरीबों को आवास देने की सरकार की मंशा को पूरा करने की योजना को पूरा करने में ज्यादातर राज्यों ने हाथ बढ़ाया है। लेकिन 15 राज्यों ने इसे प्राथमिकता देते हुए निर्धारित लक्ष्य से पहले पूरा करने का ऐलान किया है। हालांकि कई राज्य ऐसे हैं, जो बहुत पीछे हैं, शहरी गरीबों की इस योजना के लिए दिल्ली ने कोई प्रोजेक्ट तैयार नहीं किया है। सबसे ज्यादा गरीबों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में नवगठित सरकार ने अपनी गति तेज की है।
केंद्रीय शहरी विकास व शहरी आवास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शहरी गरीबों और मध्यम आय वर्ग के लोगों के अपने मकान के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। योजना को तेजी से पूरा करने के लिए राज्य सरकारों की मदद बहुत जरूरी है। शहरों में अस्थाई रूप से रहने वाली आबादी के लिए किराये वाले मकान के प्रावधान के बाबत नायडू ने कहा कि इस बारे में गंभीरता से सोच रही है। इसके लिए जल्दी ही राष्ट्रीय शहरी किराया मकान नीति की घोषणा की जाएगा। इसका मसौदा तैयार किया जा रहा है, जिसे बहुत शीघ्र केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इस नीति के बन जाने से शहरों के प्रवासी श्रमिकों, विद्यार्थियों और अकेली कामकाजी महिलाओं की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।
सरकार की इस इस किराया मकान नीति में सरकारी समर्थन से सामाजिक किराया मकान और बिना सरकारी समर्थन के बाजार प्रेरित किराया मकान में निवेश को प्रोत्साहित करने के उपाय शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि सभी के लिए मकान मिशन के पूरक के रूप में किराया का मकान कारगर होगा। एक बड़ी आबादी ऐसी होती है, जो हर शहर में मकान बनाने के बजाय किराये पर रहना पसंद करती है।
नायडू ने एक सवाल के जवाब में बताया कि रियल इस्टेट अधिनियम-2016 हर हाल में एक मई से सारे देश में लागू हो जाएगा। कानून के प्रावधानों की अवहेलना करने पर दंड का प्रावधान किया गया है। अधिनियम के तहत तीन महीने के भीतर परियोजनाओं व रियल इस्टेट एजेंटों को नियामक प्राधिकार से पंजीकरण कराना आवश्यक होगा। नायडू ने जोर देकर कहा कि पूर्ववर्ती सरकार जो काम 10 साल में किया, उसके मुकाबले केंद्र की राजग सरकार ने तीन साल में करके दिखा दिया है। रियायती मकान देकर सभी को छत मुहैया कराना राजग सरकार की प्राथमिकता है। इस दिशा में बड़े स्तर पर कार्य हो रहा है।