मुम्बई – जब रेलवे खुद ही अपने अधोसंरचना के लिए धन की कमी से जूझ रहा है, उसे अस्पताल चलाने की क्या जरूरत है. यह कहना है एचडीएफसी के चेयरमैन पारेख का.रेलवे पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि जब रेलवे को बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़ी योजना के लिए साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये चाहिए, तो उसे अपने संसाधन इधर-उधर खर्च नहीं करने चाहिए. बता दें कि फिलहाल रेलवे 125 अस्पताल, 600 पॉली क्लीनिक और 100 स्कूल चला रहा है.
इंडियन मर्चेट्स चैंबर द्वारा आयोजित सेमिनार में रेलवे को सलाह देते हुए एचडीएफसी के चेयरमैन पारेख ने कहा कि यह सही समय है कि रेलवे सावधानी से अपनी वित्तीय स्थिति और संपत्तियों का मूल्यांकन करे. अगर उसके पास संसाधन बेहद सीमित हैं तो उसे सबसे पहले मूल संपत्तियों के निर्माण पर ध्यान देने की जरूरत है. रेलवे को अपनी अन्य संपत्तियों को अलग कर उसका संचालन किसी और को सौंप देना चाहिए.
पारेख ने रेलवे की माली हालत सुधारने की जरूरत पर ध्यान दिलाते हुए फिर कहा कि रेलवे ने बीते साल एक रुपये कमाने के लिए 93 पैसे खर्च किए. इस साल रेलवे पर सातवें वेतन आयोग के रूप में 28 हजार करोड़ रुपये का बोझ अतिरिक्त पड़ा है. ऐसे में दुर्लभ संसाधनों का बेहद सावधानी से आवंटन किया जाना चाहिए.उसे अस्पताल, क्लीनिक और स्कूल का संचालन नहीं करना चाहिए.रेलवे को अपने पास मौजूद फालतू जमीनों को मॉनेटाइज करने के सुझाव के साथ आपने रेलवे की बेहद सस्ते यात्री किरायों की नीति पर भी सवाल उठाए.