नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा के लिए आयोजित सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि पिछले तीन-चार सालों से हो रहे विचार-विमर्श और लाखों सुझावों पर मंथन के बाद नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देशभर में इसकी चर्चा हो रही है। अलग-अलग क्षेत्रों और विचारधाराओं के लोग इस पर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। पीएम मोदी भाषण के मुख्य अंश नई शिक्षा नीति में ढेर सारी किताबों की अनिवार्यता पर जोर कम किया गया है। बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाने पर सहमति दी गई है, इससे उनकी नींव मजबूत होगी, आगे करियर बनाने के लिए मजबूत बेस मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कुछ ही देर में बताएंगे कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति स्टूडेंट्स के करियर के लिए किस तरह फायदेमंद साबित होगी। वह सुबह 11 बजे नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में लाए गए महत्वपूर्ण सुधारों को लेकर आयोजित सम्मेलन में उद्घाटन भाषण देंगे। इस सम्मेलन का आयोजन मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा किया जा रहा है। सम्मेलन के दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत कवर किए गए शिक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे कि समग्र, बहु-विषयक एवं भविष्य की शिक्षा, कवालिटी रिसर्च और शिक्षा में बेहतर पहुंच के लिए टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।
पीएम मोदी ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, ‘शुक्रवार 7 अगस्त सुबह 11 बजे मैं नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में किए गए महत्वपूर्ण सुधारों को लेकर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करूंगा। सम्मेलन में इस बात पर चर्चा होगी कि भारतीय शिक्षा क्षेत्र में किए गए बदलावों से युवाओं को कैसे फायदा पहुंचेगा।’
एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्वीट कर कहा, ”आज माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में होने वाले परिवर्तनकारी सुधारों पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करेंगे जिससे शैक्षिक जगत को माननीय प्रधान मंत्री का मार्गदर्शन मिलेगा। इस सम्मेलन में देश के एक हजार से भी अधिक विश्वविद्यालय, 45000 से अधिक डिग्री कॉलेज, IIT, IIIT, IIM, NIT सहित देश के लगभग 150 से भी अधिक राष्ट्रीय महत्व के संस्थान भाग लेंगे। यह सम्मेलन भारतीय शिक्षा क्षेत्र में होने वाले बदलावों को युवाओं के मध्य रखने का प्रयास है जिससे वे भविष्य में लाभान्वित होने वाले हैं।’
34 साल बाद आई नई शिक्षा नीति
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इस सप्ताह की शुरुआत में नई शिक्षा नीति-2020 की घोषणा कर देश की 34 साल पुरानी, 1986 में बनी शिक्षा नीति को बदल दिया। नई नीति का लक्ष्य भारत के स्कूलों और उच्च शिक्षा प्रणाली में इस तरह के सुधार करना है कि देश दुनिया में ज्ञान की ‘सुपरपॉवर’ कहलाए। शिक्षा नीति के तहत पांचवीं कक्षा तक के बच्चों की पढ़ाई उनकी मातृ भाषा या क्षेत्रीय भाषा में होगी, बोर्ड परीक्षाओं के महत्व को इसमें कुछ कम किया गया है, विधि और मेडिकल कॉलेजों के अलावा अन्य सभी विषयों की उच्च शिक्षा के एक एकल नियामक का प्रावधान है, साथ ही विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए समान प्रवेश परीक्षा की बात कही गई है।
10+2 की जगह आया 5+3+3+4, एमफिल भी खत्म
पुरानी नीति के 10+2 (दसवीं कक्षा तक, फिर बारहवीं कक्षा तक) के ढांचे में बदलाव करते हुए नई नीति में 5+3+3+4 का ढांचा लागू किया गया है। इसके लिए आयु सीमा क्रमश: 3-8 साल, 8-11 साल, 11-14 साल और 14-18 साल तय की गई है। एमफिल खत्म कर दिया गया है और निजी तथा सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए समान नियम बनाए गए हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर होगी चर्चा
बयान में कहा गया, ”केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल और केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री संजय धोत्रे भी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। कई गणमान्य व्यक्ति राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर अपने-अपने विचार प्रस्तुत करेंगे जिनमें मसौदा एनईपी के लिए गठित समिति के अध्यक्ष और सदस्य के साथ-साथ प्रख्यात शिक्षाविद व वैज्ञानिक भी शामिल हैं।”
इसमें कहा गया, ”विश्वविद्यालयों के कुलपति, संस्थानों के निदेशक और कॉलेजों के प्रधानाचार्य एवं अन्य हितधारक इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।”