दीपक ठाकुर:NOI।
पिछले कुछ समय मे अगर जाया जाए तो वहां की तस्वीर और आज की तस्वीर में अचानक काफी फर्क सा लगा जब ये देखने को मिला कि जिन मुस्लिम महिलाओं के लिए केंद्र सरकार तीन तलाक़ को लेकर कानून लाई थी आज वही मुस्लिम महिलाएं उसका विरोध कर रही है।
पुराने लखनऊ की टीले वाली मस्ज़िद में पिछले काफी समय से प्रचारित आज वही प्रदर्शन था जिसमे मुस्लिम महिलाओं के हाथों में तख्ती थी जिस पर लिखा था कि उन्हें शरीयत में किसी तरह का दखल पसंद नही जो शरीयत कहती है वो उसके ही हिसाब से चलेंगी।
अब बताइये जब तीन तलाक़ को सरकारी दखल के बाद माननीय उच्च न्यायालय ने अवैध करार देकर सरकार से इस पर कानून बनाने को कहा था तो मुस्लिम महिलाओं ने उसे अपनी आजादी के दिन की तरह सेलिब्रेट किया था जगह जगह मिठाईंया बाटी गई थी और कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने उन पर हुए तीन तलाक रूपी ज़ुल्म से राहत की सांस महसूस की थी।
और तो और भाजपा की इसी पहल ने भाजपा को केंद्र और उत्तर प्रदेश में अपार बहुमत भी दिलाया था हालांकि मुस्लिम पुरुष इस पूरे मामले पर अपनी अलग राय रखता रहा और सरकार की आलोचना करता रहा आज वही मंज़र टीले वाली मस्ज़िद पर दिखा पर इस बार वो सारी बातें महिलाओं के हाथों में थामी हुई तख्ती बयाँ करती नज़र आ रही थी।जिसे देख कर ये सवाल आया कि क्या वाकई ये मुस्लिम महिलाओं की मांग है या उनपर कोई दबाव था ।