कन्नौज। कन्नौज में पुलिस की कथित पिटाई से हुई दलित की मौत पर सपा के कूदने के बाद सियासत शुरू हो गई है। पुलिस पर गम्भीर आरोप लगने के बाद कन्नौज एसपी ने गांव के दूसरे लोगों को बुलाकर बाकायदा उन्हें मीडिया से रूबरू करवाया। एसपी के बुलावे पर आए नगला भारा के ग्रामीणों ने पुलिस पिटाई से हुई मौत की बात को नकार दिया। माना जा रहा है कि सरकार के दबाव में एसपी ने पेशबंदी में यह कदम उठाया है।
कन्नौज एसपी ऑफिस में जमा यह भीड़ यहां के सौरिख थाना क्षेत्र के नगला भारा गांव की है। नगला भारा के ओमप्रकाश जाटव की 2 हफ्ते पहले मौत हो गई थी। परिजनों ने सौरिख पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया था। शुक्रवार को सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव मृतक ओमप्रकाश के घर पहुंचे थे और मृतक के परिजनों को 2 लाख रु की आर्थिक मदद भी दी थी। अखिलेश यादव ने यहां योगी सरकार और पुलिस पर जमकर आरोप भी लगाए थे। अखिलेश के पहुंचने के बाद दलित ओमप्रकाश की मौत पर सियासत शुरू हो गई। लखनऊ से जब कन्नौज पुलिस पर दबाव बना तो आज नगला भारा के ग्रामीणों की भीड़ एसपी के दरबार मे जुट गई। इतना ही नही हमेशा फरियादियों को मीडिया से दूर रखने वाली पुलिस ने बाकायदा ग्रामीणों से बात करने के लिए प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया।
पुलिस की बुलाई गई ग्रामीणों की प्रेस कांफ्रेंस के बाद कई ग्रामीणों ने ओमप्रकाश के भाई के शराब के कारोबार की भी शिकायत की। दलित की मौत पर शुरू हुई सियासत के बाद पुलिस अपना दामन बचाने में जुट गई है। एसपी कन्नौज का कहना है कि ग्रामीणों की शिकायत पर जांच करवाई जाएगी। एसपी अवैध शराब के धंधे पर भी शिकंजा कसने की बात कह रहे हैं।
पुलिस सूत्रों की माने तो कन्नौज पुलिस नगलाभारा के ग्रामीणों के जरिए चौतरफा हो रही बदनामी के दाग धोने की कोशिश कर रही है। इतना ही नही पुलिस ग्रामीणों के जरिये पुलिस पर हत्या का आरोप लगाने वाले ओमप्रकाश के परिजनों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी में है। जिस तरह से सपा के कूदने के बाद कथित पुलिस पिटाई से हुई मौत ने राजनीतिक रंग लिया है। वह भविष्य में इस मुद्दे के और गरम होने की तरफ इशारा कर रहा है।