कानपुर : लोकसभा चुनाव को लेकर बढ़ी सक्रियता के बीच बसपा में टिकट के कई दावेदार सामने आए हैं। पार्टी भी अब लोकसभा प्रभारियों की तैनाती करने में जुट गई है। कुछ अपवाद छोड़ दें तो पार्टी में जो प्रभारी होते हैं, वे ही चुनाव भी लड़ते हैं, ऐसे में कानपुर, अकबरपुर और मिश्रिख सीट पर एक दर्जन दावेदार प्रभारी बनने की कोशिश में जुटे हैं। अकबरपुर सीट से चुनाव लड़ने के लिए एक पूर्व कैबिनेट मंत्री ने भी दावा किया है। जो नेता टिकट चाहते हैं, पार्टी के जोनल कोआर्डिनेटर उनकी छवि और कार्यशैली पर नजर रखे हैं।
सपा और बसपा के बीच गठबंधन होना लगभग तय है। मायावती ने जो फार्मूला दिया है उसके तहत वर्ष 2014 के चुनाव में सपा या बसपा के उम्मीदवार जिस सीट पर दूसरे नंबर पर थे, वह सीट उसी पार्टी को मिलेगी। यह फार्मूला माना गया तो मिश्रिख और अकबरपुर सीट बसपा के खाते में जाएगी। अकबरपुर के जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर पार्टी पाल या कुशवाहा समाज से किसी को उम्मीदवार बनाना चाहती है, लेकिन पार्टी में मजबूत पकड़ रखने वाले एक पूर्व कैबिनेट मंत्री ने भी दावा पेश किया है। इसके लिए वे लामबंदी भी कर रहे हैं। वैसे एक पूर्व विधायक व विधानसभा चुनाव लड़ चुके कई नेता टिकट के लिए भागदौड़ कर रहे हैं। रही बात मिश्रिख सीट की तो यहां से पूर्व सांसद अशोक रावत का दावा काफी मजबूत था, लेकिन पिछले दिनों वे भाजपा में चले गए ऐसे में यहां पार्टी को अब किसी नए चेहरे की तलाश है। यहां दो पूर्व विधायकों ने दावा ठोका है। बसपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक कानपुर सीट उनकी ही पार्टी को मिलेगी क्योंकि इस सीट पर बसपा 2014 में तीसरे नंबर पर थी। पार्टी यहां किसी मुस्लिम या फिर पिछड़ी जाति के किसी नेता को टिकट दे सकती है। कानपुर सीट बसपा कभी नहीं जीती है, लेकिन सोशल इंजीनिय¨रग के फार्मूले पर दलित, मुस्लिम, पिछड़ा गठजोड़ के सहारे पार्टी इसे जीतना चाहेगी। इस सीट पर भी कई नेता टिकट पाने को आतुर दिख रहे हैं।