नई दिल्ली, एजेंसी । प्रदेश पर बढ़ते कर्ज को लेकर भाजपा सरकार के बयानों पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि भाजपा राज में ही 25 हजार करोड़ रुपये का कर्ज बढ़ा। जब कांग्रेस ने सत्ता छोड़ी थी, उस वक्त राज्य पर 12 हजार करोड़ का कर्ज था। पांच साल बाद 2012 में जब पार्टी दोबारा सत्ता में आई तो ये कर्ज बढ़कर 37 हजार करोड़ रुपये हो चुका था। रावत ने कर्ज पर सरकार के बयानों को हास्यास्पद और गुमराह करने वाला बताया।
शनिवार को जारी एक प्रेस बयान में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2013 की आपदा के बाद विश्व बैंक व अन्य कर्जे को इसमें जोड़कर देखना न्यायोचित नहीं है। राज्य अपनी जीडीपी के तीन प्रतिशत का कर्ज लेने की क्षमता को वहन कर सकता है । उनके कार्यकाल में इस सीमा को कभी नहीं लांघा गया। अर्थव्यवस्था को निरंतर गतिमान रखा।
वेतन या अन्य मद में भुगतान का संकट नहीं आया। उन्होंने आबकारी व शराब पर सरकार के फैसले को समस्या के समाधान से दूर भागने वाला बताया। कहा कि खनन और शराब पर जो गड्ढे भाजपा नेता विपक्ष में रहकर दूसरों के लिए खोदते थे, वो आज उनको भारी पड़ रहे हैं । इस पर उन्हें राज्यहित में जनभावनाओं का सम्मान करते हुए निर्णय लेना चाहिए।
राष्ट्रीय राजमार्गों का डिनोटिफिकेशन स्थायी समाधान नहीं है। इससे राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में आने वाले धन में बाधा पहुंचेगी। उन्होंने बिजली खरीद के उनकी सरकार के लिए हुए निर्णय पर भी भाजपा सरकार की टिप्पणियों को खारिज करते हुए उन्हें चुनौती दी कि यदि उनको लगता है कि विद्युत खरीद के करार गलत है तो तुरंत उनको रद कर देना चाहिए। उन्होंने दावा किया उनके समय में लिये गए निर्णय सही थे।