इरफ़ान शाहिद:NOI।
देश मे भाजपा का परचम हर तरफ लहरा रहा है।प्रधानमंत्री देश का डंका पूरे विश्व मे बजा रहे हैं आज हमारा देश ऐसी स्थिति में है जो मदद लेता नही करता है इतना सब हो रहा है पर जनता को क्यों कुछ दिखाई नही दे रहा है,है ना दुविधापूर्ण सवाल इसीलिए भाजपा का कोई नेता उसका जवाब नही दे पा रहा है।
भाई आपने नोटबन्दी की जनता ने आपका साथ दिया अब कालाधन आया नही आया ये जनता को नही पता आप जीएसटी लाये उसका भी स्वागत हुआ अब उससे क्या लाभ मिला नही मिला ये भी जनता को नही पता जनता तो वही जानती समझती है जिससे वो दो चार होती रहती है जैसे रसोई गैस के दाम,पेट्रोल डीजल के दाम और डॉलर के मुकाबले हमारे रुपये की क्या कीमत आंकी जा रही है।
तो आप ही बताइए यहां आपका क्या जवाब है केवल उ्ज्वला योजना का डंका पीटने से बढ़े दाम कम हो जाएंगे तो ठीक है खूब डंका बजाइये लेकिन ज़रा ये भी सोचिये के जिन गरीब लोगों के घर आपने चूल्हे बंद करवाकर सिलेंडर पहुंचा दिया वहां दूसरा सिलेंडर मंगवाने का एक मुश्त पैसा है भी की नही सोचा आपने नही ना अगर सोचा होता तो दाम कम होते जो अभी तक नही हुए।
अब आइये पेट्रोल और डीजल पर जो आम आदमी की जेब ऐसी हल्की कर रहा है कि उसे आपकी जीएसटी भी छलावा लग रही है और लगे भी क्यों ना क्योंकि अगर छलावा ना होती तो ये जीएसटी से अब तक बाहर क्यों रहती क्योंकि आपके ही समर्थक बाबा रामदेव डंके की चोट पे कह रहे थे कि भाजपा लाओ तो पेट्रोल 40 रुपये में और डीजल 35 रुपये में पाओ इसी आस पे हम तो भाजपा ले आये पर बाबा अब नज़र नही आ रहे हैं इस मुद्दे पर कुछ बोलते हुए।
इसके बाद आइये के एक डॉलर की कीमत क्या है इसका अंदाज़ा है आपको जैसा हमने देखा सुना है उससे तो यही लगता है कि डॉलर के आगे रुपया धराशाई होता जा रहा है क्यों भाई आपकी विदेश नीति इतनी अच्छी है तो ऐसा क्यों बताएंगे आप, नही बताएंगे क्योंकि आपको अभी अगला चुनाव जीतना है तो उसमें फेलियर विषय पर चर्चा क्यों यही समझदारी भी है लेकिन एक बात ये भी है
कि आप कहते हैं हम अपने देश मे हुई हानि की भरपाई दूसरे देश के पैसों से नही करेंगे तो फिर आप अपने सांसदों विधायको से क्यों नही कहते वो आगे आये मदद करने के लिए क्यों आप उनपर दिल खोल के लुटा रहे हैं और आम आदमी से इल्तज़ा कर रहे है जबकी आम आदमी जानता है कि वो चाह कर भी मदद नही कर सकता सिस्टम ही ऐसा है जिसमे ऐसे ऐसे लोग हैं जो रकम ही डकार जाएंगे।खैर आम आदमी फिर भी सब कुछ करने को तैयार है पर आप माननीय लोग क्या कर सकते हैं ये दिखाइए।क्या खाली वीआईपी बन कर ही कार्यकाल बढाने की जुगाड़ में लगे रहिएगा या जिस वादे के साथ माननीय बने हैं उसे पूरा भी करियेगा।सोचिये और चिंतन करिये क्योंकि वक़्त कभी किसी का नही रहता ये थमता नही बस यादें छोड़ जाता है और हम वाकई नही चाहते कि ये आपके लिए बुरी यादें छोड़ कर जाए