लखनऊ, शैलेन्द्र कुमार। हम अपने बच्चों का जरा सा भी दर्द नहीं देख पाते हैं। उन्होंने अगर हम से कहा कि उनके शरीर में यहां या वहां कहीं भी दर्द है तो हम चिंतित हो उठते हैं। और अपने बच्चे के लिए दवा ढूंढने लगते हैं या फिर तुरन्त डॉक्टर के पास लेकर भागते हैं। लेकिन यही चाहते हैं कि बच्चे को दर्द से राहत मिल जाये।
जिससे आपको भी राहत मिल जाये कि आपका बच्चा ठीक है। लेकिन वही दवा अगर उसके लिए जानलेवा बन जाये तो ये आपसे सहन नहीं हो सकता। बता दें कि मथुरा(57), रायबरेली(12) और एटा(5) में पेट के कीड़े मारने की दवा ही बच्चों के लिए नुकसान करने वाली जहर बन गई।
इन तीनों शहरों के स्कूलों में पेट के कीड़े मारने की दवा खाने से 74 बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। मथुरा में फरह और चौमुंहा के स्कूलों में बच्चों को दवा दी गई थी। वहीं रायबरेली की सलोन तहसील के एक मदरसे में और एटा में एक इंटर कॉलेज में 5 छात्राओं ने पेट के कीड़े मारने की दवा खाई थी और दवा खाते ही बच्चों की हालत खराब हो गई।
सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां से उपचार के बाद ज्यादातर को छुट्टी दे दी गई है। मथुरा के फरह ब्लाक के दीनदयाल धाम में स्थित गुलाब मेमोरियल पब्लिक स्कूल में सोमवार दोपहर को लंच के बाद बच्चों को पेट के कीड़े मारने की दवा (एल्बेंडाजॉल) दी गई।
सभी को एक-एक गोली दी गई थी और दवा खाने के कुछ देर बाद ही बच्चों को सर्दी लगने लगी और टॉयलेट आने लगा। स्वास्थ्य केंद्र में सूचना के बाद वहां से एंबुलेंस पहुंची और 36 बच्चों को अस्पताल ले आई। इधर, चौमुंहा ब्लाक के बरौली गांव में जूनियर हाईस्कूल में भी दवा खाते ही 25 बच्चों की तबीयत बिगड़ गई तो उन्हें भी अस्पताल भेजा गया।
वहीं दूसरी ओर रायबरेली की सलोन तहसील क्षेत्र में भी मंगलवार को पेट के कीड़े मारने वाली दवा एल्बेंडाजोल खाने से एक मदरसे के 12 बच्चों की भी हालत बिगड़ गई। और आनन-फानन में बच्चों को पीएचसी पहुंचाया गया। इसमें से चार बच्चों को भर्ती कर उपचार किया गया, जबकि अन्य को छुट्टी दे दी गई।