कोर्ट ने कहा है कि शादीशुदा जिंदगी के दौरान यौन उत्पीड़न की शिकार के साथ केवल इसलिए पक्षपात नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वो आरोपी की बीवी है.
एडिशनल सेशन जज कामिनी लॉ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न की शिकार पत्नियां भी सरकारी मदद और सुरक्षा पाने की हकदार हैं. अदालत ने इस मामले में आरोपी पर आईपीसी की धारा 377 के तहत केस चलाने का हुक्म दिया जो ‘अप्राकृतिक सेक्स’ से जुड़ा है.
कोर्ट ने आरोपी को बेल देने से इनकार करते हुए कहा कि आरोपी की मानसिकता बेहद गंदी है और उसके इस कुकर्म से उनके नौ साल के बच्चे पर भी बुरा असर पड़ा. जज ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए कि वो पीड़िता की जिम्मेदारी उठाए. केशवपुरम की रहने वाली इस महिला के साथ उसके पति ने कथित तौर पर शराब पीने के बाद जबरन अप्राकृतिक सेक्स किया था.
क्या है कानून?
भारतीय कानून (आईपीसी) के मुताबिक बीवी से रेप को गुनाह नहीं माना गया है. अगर पत्नी की उम्र 12 से 15 साल के बीच है तो रेप की सजा दो साल तक कैद या जुर्माना दोनों हो सकते हैं. अगर बीवी की उम्र 15 से ऊपर है तो रेप करने वाले पति के लिए सजा का कोई प्रावधान नहीं है.
इन देशों में गैरकानूनी
बीवी से रेप को इन देशों में गैर कानूनी माना जाता है. इनमें न्यूजीलैंड, कनाडा, इजरायल, फ्रांस, स्वीडन, डेनमार्क, नॉर्वे, रूस और पोलैंड शामिल हैं. इनके अलावा अमेरिका के 18 प्रांतों और ऑस्ट्रेलिया के तीन राज्यों में भी इस पर पाबंदी है.
यूएन पॉपुलेशन फंड के मुताबिक भारत में दो-तिहाई विवाहित महिलाओं (15 से 49 साल की उम्र वाली) को पीटा जाता है, रेप किया जाता है या सेक्स के लिए मजबूर किया जाता है.