नई दिल्ली, एजेंसी । सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर फास्ट ट्रैक मोड में हैं। चीफ जस्टिस पद ग्रहण करने का एक महीने भी पूरा नहीं हुआ है लेकिन उन्होंने पूरी तरह से यह संकेत दे दिया है कि वे वर्षों से लंबित मामलों को तेजी से निपटाने के पक्ष में है। इतना ही नहीं इस दौरान ही उन्होंने दो अहम मामलों की सुनवाई गर्मी की छुट्टी में करने का निर्णय लिया है। एक सुनवाई के दौरान टिप्पणी कर चीफ जस्टिस ने अपने काम के तौर-तरीके का परिचय दे दिया है।
जस्टिस जेएस खेहर ने गत चार जनवरी को चीफ जस्टिस के पद पर शपथ ली थी। उसके बाद से ही वह फास्ट ट्रैक मोड में हैं। चीफ जस्टिस बनने के चंद दिनों में सामाजिक न्याय पीठ को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया है, जो करीब एक साल से गुम हो गया था। उन्होंने गंगा की सफाई से संबंधित 1985 में दायर एक जनहित याचिका को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) में भेजकर याचिका का निपटारा कर दिया। मामले को एनजीटी के पास भेजते हुए चीफ जस्टिस ने कहा था कि हमने इस मामले में काफी वक्त दिया और सुप्रीम कोर्ट के लिए इस मामले में लगातार निगरानी रखना उचित नहीं है।
इसके अलावा उन्होंने वर्षों से लंबित कई अन्य जनहित याचिकाओं का निपटारा कर दिया। इनमें से एक व्हिसिलब्लोअर के संरक्षण की गुहार संबंधी याचिका को निपटारा कर दिया। एक एनजीओ द्वारा 12 वर्ष पूर्व दायर इस याचिका का यह कहते हुए निपटारा कर दिया कि केंद्र इस संबंध में कानून बना रही है, ऐसे में मामले को लंबित रखने का कोई कारण नहीं बनता। साथ ही एक अन्य लंबित जनहित याचिका जिसमें मीडिया के लिए दिशानिर्देश बनाने संबंधित याचिका का भी निपटारा कर दिया। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम मीडिया से यह नहीं कह सकते कि उसे क्या दिखाना चाहिए या क्या लिखना चाहिए।
दो मामलों पर सुनवाई गर्मी की छुट्टी में करने का निर्णय लिया है
चीफ जस्टिस जेएस खेहर का कार्यकाल अगस्त महीने तक है। इसलिए वह हरसंभव प्रयास कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट से लंबित मामलों का बोझ कम हो। इसी को ध्यान में रखते हुए चीफ जस्टिस ने अब तक दो मामलों पर सुनवाई गर्मी की छुट्टी में करने का निर्णय लिया है। इनमें से एक मामला उत्तर प्रदेश के चौ. चरण चौधरी चरण सिंह डिग्री कॉलेज को सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये से अधिक का फंड देने केआरोप से संबंधित है।
चौधरी चरण सिंह डिग्री कॉलेज की स्थापना एक सोसायटी के द्वारा की गई थी और इस सोसायटी के सदस्य मुलायम सिंह और शिवपाल यादव सहित उनकेपरिवार के अन्य सदस्य भी है। वहीं दूसरा मामला व्हाट्स एप द्वारा निजता के अधिकार का उल्लंघन करने केआरोप से संबंधित है।
यह देखते हुए कि सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल चीफ जस्टिस समेत 23 जज हैं, जबकि क्षमता 31 की है, लिहाजा चीफ जस्टिस सीमित संसाधनों में बेहतर काम करने की कोशिश कर रहे हैं। मालूम हो कि 31 दिसंबर, 2016 तक सुप्रीम कोर्ट में 62537 मामले लंबित हैं।