फिरोजाबाद शिकोहाबाद- नगर में वैसे तो अनेक मनिदर हैं, लेकिन काली देवी के मनिदर की अत्यधिक मान्यता है। शारदीय व चैत्रमास के नवरात्रि अन्य त्योहारों पर काली देवी के दर्शनार्थ श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। इनमें नगर के बाहर के भी भक्त लोग शामिल होते हैं। जो अपने साथ नारियल, मेवा, बताशे और मिठार्इ आदि देवी की भेंट हेतु लाते हैं। लोग अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर काली देवी पर साड़ी, धोती, चुनरी, सोने, चाँदी के आभूषण चढ़ाते हैं। मनिदर के वर्तमान पुजारी ने बताया कि उनके पूर्वजों के समय का यह मनिदर है। उनके पूर्वज बाबा मुकुन्द निशद्ध काली के परम भक्त थे। उनको रात्रि में स्वप्न में काली ने एक खण्डहर लेने को कहा और बताया उस खण्डहर सिथत एक अँधे कुएँ में मैं मौजूद हूँ। मुझे निकालकर वहीं मेरा मनिदर बनवाओ। बाबा ने उस खण्डहर के मालिक राजनाथ सेठ के पूर्वजों से वह स्थान लेकर उसकी खुदार्इ करार्इ। काली देवी की मूर्ति निकलने पर वहाँ स्थापना करार्इ। बतातें कि एक बार बाबा मुकुंदजी के समय मेें देवी को बकरे का माँस व शराब आदि का भोग दरवाजा बन्दकर लगाया जा रहा था। उस समय मनिदर में यह सब निषेध था। पुलिस ने सूचना पाकर छापा मारा। पुलिस आने पर बाबा ने देवी से अपनी लाज बचाने की प्रार्थना की। दरवाजा जब खोला गया माँस का हलवा और शराब का चरणामृत बन गया था। इस घटना के बाद से बाबा को वैराग्य हो गया। बाबा ने दूसरे दिन ही अपनी पत्नी सहित समाधि ले ली। बाबा के स्वामिभक्त कुत्ते ने भी वहीं अपने प्राण त्याग दिये। इस समय भी रोडवेज बस स्टेण्ड के पीछे शम्भूनगर में बाबा और उनकी पत्नी की पक्की समाधि बनी हुर्इ हैं। यहाँ हर वर्ष होली की दौज पर मेले का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु यहाँ पहुँचकर समाधि पर प्रसाद चढ़ाते हैं। काली देवी चालीस दिन तक लगातार सच्चे मन से दर्शन करने वालों की मनोकामना पूर्ण करती हैं। नगर के एक उधोगपति जो देवी के परम भक्त हैं ने देवी का भव्य मनिदर बनवा दिया है। मुख्य पुजारी अम्रता प्रसाद तिवारी रहे।