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Monday, January 13, 2025

फिल्म समीक्षा: घिसीपिटी कहानी से भटक गई ‘आत्मा’

मुंबई। डरावनी बच्ची, भयानक बैकग्राउंड स्कोर और कुछ डरावने दृश्य। अगर आपको हॉरर फिल्में पसंद है तो फिल्म ‘आत्मा’ आपको अच्छी लग सकती है। हालांकि ‘आत्मा’ में कुछ भी नया नहीं है। कुछ समय में ही आपको फिल्म की पूरी कहानी पहले ही समझ आने लगती है और ये बात आपको परेशान करने लगती है।

क्या है कहानी ?

अपनी बच्ची को अकेले संभालने वाली माया (बिपाशा बसु) को पता चलता है कि उसकी बेटी निया (डॉयल धवन) अपने मृत पिता अभय (नवाजुद्दीन सिद्दकी) से रोज बातें करती है। निया की शिक्षिका से क्लास में ध्यान न देने की शिकायत मिलने और घर में अजीबोगरीब घटनाएं होने के बाद माया को लगता है कि उसे किसी मनोवैज्ञानिक की सलाह लेनी चाहिए। माया को पता चलता है कि निया का मृत पिता अब आत्मा बनकर अपनी बेटी को हासिल करने आया है। बाकि की फिल्म में माया अपनी बेटी को अपने अत्याचारी पति की आत्मा से बचाने की कोशिश करती नजर आती है।

ये कहना गलत होगा कि फिल्म में कलाकारों का काम निराशाजनक है। बिपाशा बसु मां के किरदार में विश्वसनीय लगीं हैं। नवाजुद्दीन के एक्टिंग टेलेंट से तो हम सभी वाकिफ हैं और इस फिल्म में भी उनका काम शानदार है। हालांकि उन्हें फिल्म में अपना हुनर दिखाने का ज्यादा मौका नहीं मिला। डरावनी बच्ची के किरदार में डॉयल धवन का काम ठीक है। वो आपको ‘भूत रिटर्न्स’ की निम्मी की याद दिलाती हैं जिसका किरदार अलयना शर्मा ने निभाया था।

फिल्म का नीरस प्लॉट ‘आत्मा’ की सबसे बड़ी खामी है। आंखों पर काला मेकअप, काले होंठ और कास्ट में जबरन तांत्रिक को शामिल करने जैसे घिसेपिटे तरीके फिल्म का मजा खराब कर देते हैं। इससे फिल्म के ट्रेलर से जागी उम्मीदों पर पानी फिर जाता है। नाटकीयता को कम से कम रखा गया है और फिल्म में कुछ दृश्य डराने वाले हैं, हालांकि आपको लगातार कहानी का पूर्वानुमान होता रहता है क्योंकि फिल्म का प्लॉट घिसापिटा है।

क्या करें?

अगर आप डरावनी फिल्मों के दीवाने हैं तो आत्मा देख सकते हैं। बाकि दर्शकों को निराशा ही हाथ लगेगी।

रेटिंग – 2/512feb_aatma

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