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Monday, January 20, 2025

बच्चियों के साथ दुष्कर्म की रोकथाम के लिए प्रस्तावित अध्यादेश 2018 पर विशेष ।

सीतापुर- अनूप पाण्डेय,अमरेंद्र पांडेय/NOI-साथियों,बच्चियों के साथ दुष्कर्म इंसानियत नहीं बल्कि हैवानियत की पहचान होती है और ऐसे लोगों को समाज में जिंदा रहने का कोई अधिकार नहीं होता है। बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वाले को ऐसी सजा मिलनी चाहिए जिसे देखकर दूबारा पुनरावृत्ति करने की किसी की हिम्मत न पड़े।हमारे यहाँ इस समय दुष्कर्म के नाम पर राजनीति और अपना उल्लू सीधा किया जा रहा है और बिना दुष्कर्म प्रमाणित हुये ही दुष्कर्म होने की चिल्लपो शुरू हो जाती है और मीडिया खुद चिकित्सक बनकर ऐसी खबरों को सुर्खियां देने लगती हैं। ऐसी खबरों से समाज में आक्रोश फैलता है और हवा में घटना का विरोध शुरू हो जाता है। अभी कुछ दिन पहले जम्मू कश्मीर के कठुआ में कुछ ऐसा ही हुआ और बिना किसी आधार के बच्ची के साथ दुष्कर्म का आरोप लगाकर देशवासियों को झकझोर दिया गया। अभी दो दिन पहले चिकित्सीय परीक्षण में बच्ची के साथ दुष्कर्म होने की पुष्टि नहीं हुयी है।जो लोग बिना आधार दुष्कर्म का आरोप लगा रहे थे उनको इसका सबक मिलना चाहिए ताकि भविष्य में बिना प्रमाणित हुये कोई दुष्कर्म का प्रचार प्रसार न कर सके। आपको याद होगा कि हमने अपनी सुप्रभात सम्पादकीय के माध्यम से कुछ दिन पहले बच्चियों के साथ दुष्कर्म को अमानवीय हरकत बताते हुए इसके रोकथाम के लिए नया चाइल्ड एक्ट बनाने का अनुरोध सरकार से किया था।हमें बेहद खुशी है कि हमारी सम्पादकीय के तीसरे दिन मुख्यमंत्री योगीजी ने केन्द्र सरकार से बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को फांसी देने के लिये कानून बनाने की सिफारिश कर दी थी। इसके तीसरे दिन यानी परसों केन्द्र सरकार ने कठुआ सूरत और उन्नाव में दुष्कर्म की घटनाओं से फैले आक्रोश को देखते हुए केन्द्र सरकार ने पीड़ित बच्चियों किशोरियों एवं महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाने तथा दोषियों को कठोर दंड देने के लिए एक अध्यादेश लाने का फैसला किया है। सरकार का यह फैसला एक सराहनीय एवं स्वागत योग्य कदम माना जा सकता है। इस अध्यादेश के लागू हो जाने के बाद दुष्कर्म के मामलों में सजा सात साल से बढ़कर दस साल सश्रम कारावास के रूप में तब्दील हो जायेगी।इसी तरह सोलह साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने पर दोषियों को आजीवन कारावास दी जा सकेगी।इसी तरह बारह साल की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों इस अध्यादेश के लागू होने के बाद सजाये-मौत दी जा सकती है। इस नये कानून के लागू होने के बाद सोलह साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों को अग्रमि जमानत नही मिल सकेगी। इस प्रस्तावित एवं कैबिनेट से मंजूर अध्यादेश के बाद ऐसे दुष्कर्म की घटनाओं की जांच विवेचक को हर दशा में दो माह में पूरी कर लेनी होगी तथा दो महीने में ही मुकदमें का ट्रायल भी पूरा करना होगा।यानी पीड़िता न्याय के लिए लम्बे समय तक ऊबाऊँ इंतजार नहीं करना पड़ेगा और उसको त्वरित न्याय मिल जायेगा। बच्चियों के साथ दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर ऐसे सख्त की कानून की आवश्यकता थी क्योंकि बच्चियों के साथ दुष्कर्म विकृति मानसिकता एवं हैवानियत का परिचायक होता है और इस घृणित दरिन्दगी से देश और संस्कृति दोनों को शर्मिंदा होना पड़ता है। बच्चियों के साथ दुष्कर्म हैवानियत की पराकाष्ठा है क्योंकि इसमें दो चार साल की बच्चियां भी शामिल हो रही हैं। ऐसा कृत्य तो राक्षस भी नही करते हैं इसलिए ऐसे महाराक्षसों को सबक सिखाने और देश को अपमानित होने से बचाने के लिए इस तरह के कठोर कानून की जरुरत है। कानून तो बनते बिगड़ते रहते हैं लेकिन सवाल इस बात का है कि कानून का दुरपयोग न होने पाये और दोषी ही सजा पाये।इस नये प्रस्तावित आदेश को लाने के लिए हम एक बार सरकार को धन्यवाद देते हैं।

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