नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के बाद की केंद्रीय राजनीति पर अभी से नजरें गड़ाए सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के तेवर बुधवार को अचानक बदल गए। संप्रग सरकार से द्रमुक की समर्थन वापसी होते ही मुलायम हर हाल में अपने पुराने दोस्त बेनी प्रसाद वर्मा की केंद्रीय मंत्रिमंडल से ‘बलि’ चाहते हैं। पार्टी को इससे कम पर कुछ भी मंजूर नहीं है। चाहे सपा को देर-सबेर कुछ भी फैसला करना पड़े। लेकिन मुलायम सिंह यादव का आज रूख बदला-बदला नजर आया। सपा संसदीय दल की बैठक के बाद मुलायम ने कहा कि मुझे देखकर लगता है क्या कि मैं नाराज हूं?
मुलायम सिंह यादव पर आतंकवादियों से संबंधों से लेकर केंद्र को समर्थन के बदले कमीशन लेने तक के जिन आरोपों को सपा ने मंगलवार को भुला दिया था, बुधवार को पार्टी ने उसी मसले पर संसद नहीं चलने दी। पार्टी के लिए बेनी का अपने बयान पर खेद बेमायने है। सपा के एक रणनीतिकार ने कहा, बेनी मामला फिर से मुद्दा बना है तो वह उनके अनमने खेद के लिए नहीं, बल्कि उनकी बर्खास्तगी के लिए है। ऐसा नहीं हुआ तो सरकार और सपा के रिश्ते खराब होने ही हैं, उसमें समय भले ही लगे। मुलायम गुरुवार को संसद भवन में सपा संसदीय दल की बैठक में बताएंगे कि पार्टी सांसदों को सरकार के साथ क्या बर्ताव करना है। इससे पहले सपा सांसदों को इस पर बोलने की मनाही है।
मुलायम बेनी के आरोपों को मुद्दा बनाकर एकसाथ दो निशाने साधने में जुट गए हैं। एक, 34 साल की दोस्ती व राजनीतिक सहयोगी रहने के बाद भी पांच साल से हमलावर बेनी से वह पुराना हिसाब चुकता करना चाहते हैं। मंशा, उन्हें उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाशिए पर लाना और सोनिया व राहुल की नजर में बेनकाब करना है। दो, केंद्र में आगे की राजनीति के संभावित दोस्तों की तलाश की शुरुआत भी इसी बहाने अभी से करनी है। बुधवार को मुलायम और राकांपा प्रमुख शरद पवार की भेंट भी इसी रोशनी में हुई है। सपा के इस गणित के पीछे उसकी वह सोच भी काम कर रही है, जिसमें वह अगला लोकसभा चुनाव समय से पहले चाहती है। ऐसा होने पर वह उत्तर प्रदेश में अपना फायदा देख रही है। प्रदेश में सपा की सरकार है। चुनाव अगले साल व समय पर होने की स्थिति में उसे नुकसान का अंदेशा है।