लखनऊ ..16 नवम्बर 2019 फास्ड-फूड-जंक फूड्स और अनियमित जीवनचर्या के बढ़ते चलन से आज डायबिटीज रोग होना आम बात बन गई है। डायबिटीज के दूसरे कारणों में आनुवांशिक,उम्र बढ़ने पर,मोटापा और तनाव के कारण होता है। अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के एण्डोक्राइनोलाजिस्ट डॉक्टर टोनी पी. जोसफ ने बताया कि डायबिटीज ऐसा रोग है जिसमें व्यक्ति को काफी परहेज से रहना होता है। मधुमेह के रोगी का आहार केवल पेट भरने के लिए ही नहीं होता, उसके शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा को संतुलित रखने में सहायक होता है। आमतौर पर मरीज ब्लडशुगर की नार्मल रिपोर्ट आते ही लापरवाह हो जाता है।
डॉक्टर टोनी पी. जोसफ ने बताया कि मधुमेह के रोगी को आंखों व किडनी के रोग, पैरों की नसों में परेशानी के कारण जलन व सुन्नपन आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। डायबीटीज रोगियों में हृदय रोग व लकवा की संभावना अधिक होती है । इसलिए सदैव यही प्रयत्न करना चाहिए कि ब्लड ग्लूकोज लेवल फास्टिंग 70.120 मिलीग्राम डीएल व खाना खाने के 2 घंटे बाद का 100-160 मिलीग्राम डीएल बना रहे। इसके लिए इन्हें खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 45 मिनट से 1 घंटा तीव्र गति से पैदल चलना या अन्य कोई भी व्यायाम करना चाहिए। सही समय पर दवाई या इंसुलिन लेना चाहिए। डायबिटिक व्यक्ति को अपने वजन व लंबाई के अनुसार कम कैलोरी का सेवन करना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति की लंबाई 5 फुट 4 इंच है तो उसका आदर्श वजन 55 किग्रा होना चाहिए। डायबिटिक व्यक्ति तले हुए पदार्थ, मिठाइयां, बेकरी के पदार्थों से परहेज करें। दूध सदैव डबल टोन्ड (स्किम्ड मिल्क) का प्रयोग करें। घी व तेल का सेवन कम से कम करें ।
मोटापे से ग्रस्त मधुमेह के मरीजों को 5.10 वजन कम करने से मधुमेह, रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल स्तर,हृदय स्वास्थ्य में सुधार होगा और ऐसा संतुलित आहार व व्यायाम द्वारा किया जा सकता है। साथ ही तम्बाकू पदार्थों तथा शराब का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए ।