लखनऊ. 2019 में “मोदी मैजिक” से निपटने के लिए विरोधियों की सारी कोशिशें धरातल पर उतरती नजर नहीं आ रही हैं। महागठबंधन को लेकर सपा-बसपा कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दल एकजुट नहीं हो पा रहे हैं। एकजुटता न हो पाने की सबसे बड़ी वजह महागठबंधन के नेता के नाम पर एकमत न हो पाना है। राजनीतिक दलों में महागठबंधन के मुख्य नेता के नाम को लेकर जबरदस्त अंतर्विरोध है। बता दें कि लालू प्रसाद यादव 27 अगस्त को पटना में बीजेपी विरोधी पार्टियों की एक रैली आयोजित कर रहे हैं, उन्होंने सभी पार्टियों को न्योता भेजा है ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि इस रैली में कौन कौन शामिल होता है।लालू की रैली से माया कर सकती हैं किनारा
बीजेपी के विरोध में पटना में होने वाली लालू प्रसाद यादव की रैली से बसपा सुप्रीमो मायावती किनारा कर सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक, शनिवार को पार्टी के पदाधिकारियों के साथ मायावती ने मीटिंग की। इस मीटिंग में महागठबंधन को लेकर भी चर्चा हुई। मायावती को पार्टी के सीनियर नेताओं ने महागठबंधन को लेकर निगेटिव फीडबैक दिया। नेताओं का कहना था कि बसपा का महागठबंधन में शामिल होना उनसे लिए घातक साबित हो सकता है। इस वजह से जमीनी तौर पर बसपा के वोटर्स का रुख दूसरी पार्टियों के ओर जा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस फीडबैक के बाद मायावती 27 अगस्त की रैली में जाने का प्लान कैंसल भी कर सकती हैं।
हर कोई बनना चाह रहा है गठबंधन का नेता
यूपी में महागठबंधन के मुख्य नेता के नाम को लेकर आमराय नहीं बन पा रही है। जहां एक ओर सपा में अखिलेश यादव को चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने की बात हो रही है। वहीं, कांग्रेस राहुल को इस गठबंधन का नेता चाह रही है। फिलहाल इन दोनों पार्टियों के प्रदेश कार्यालय में इन दोनों नेताओं के नाम को प्रोजेक्ट करने की बात होती है। जाहिर है कि भले ही इन पार्टियों के नेता एकजुट हों, लेकिन वर्कर्स और पार्टी पदाधिकारियों के बीच इसको लेकर संशय कायम है।
महागठबंधन पर संशय ही संशय
महागठबंधन की राह में तमाम रोडे़ हैं। सभी दलों के एक साथ न आ पाने सबसे बड़ी वजह ये है कि मोदी विरोध तो ठीक लेकिन विपक्षी दलों के आपसी समीकरणों का क्या होगा? यूपी में अस्तित्व बचाने के लिए महागठबंधन माया और अखिलेश की मजबूरी हो सकती है लेकिन बंगाल में कांग्रेस,तृणमूल कांग्रेस,लेफ्ट किस हद तक साथ आएंगे? साउथ में क्या डीएमके साथ आएंगे? बिहार में सपा, बसपा, कांग्रेस, आरएलडी क्या साथ आ सकेंगे ? ये वो सवाल हैं जो मोदी लहर के खिलाफ विपक्षी एकजुटता पर सवाल खड़े करते हैं।