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Friday, September 13, 2024

बलरामपुर अस्पताल में वीआईपी को भी नही मिल रही बेहतर सुविधाएं…

दीपक ठाकुर:NOI।

लखनऊ कैसरबाग स्थित बलरामपुर अस्पताल सरकार के नज़रिए से भले ही उत्तम सुविधा का और व्यापक इंतजाम होने का दावा करता हो पर इसकी ज़मीनी हक़ीक़त सरकारी दावों के बिल्कुल उलट है या यूं कहें कि ज़मीनी हक़ीक़त सरकार के झूठे दावों की पोल खोलती ही नज़र आती है।

ऐसा वाक्या खुद हमारे सामने तब आया जब बीती रात यानी रविवार की रात एक फ्रीडम फाईटर की पत्नी अपने इलाज के लिए बलरामपुर अस्पताल पहुंची तो उनको पहले तो बड़े अदब के साथ इमरजेंसी में एडमिट कर लिया फिर रिफर किया गया प्राइवेट रूम नम्बर 106 के लिए।

अब यहां बलरामपुर प्रशासन की संवेदनहीनता हीनता देखिए के रूम नम्बर 106 खाली ना होने के बावजूद फ्रीडम फाईटर को पत्नी को दे दिया गया और जब उनके परिजन जब कमरे में जाने को पूछने लगे तो स्टाफ ने कहा कि अरे उसमे जो मरीज़ था वो अभी भी है आप इंतज़ार कीजिये जब वो जाएंगे कमरा आपको ही मिलेगा लेकिन कब ये कह पाना मुश्किल है।

आपकी स्क्रीन पर ये जो तस्वीर नज़र आ रही है ये उन्ही फ्रीडम फाईटर की पत्नी की तस्वीर है जो अपने स्वर्गीय पति की प्रतिष्ठा के बल पर यहां आई तो ज़रूर थी पर अभी तक उन्हें वो सम्मान नही मिलपाया जिसकी वो हक़दार हैं।वो अभी भी इमरजेंसी वार्ड में 15 मरीजों के साथ अपनी बीमारी से जूझ रही हैं।

खबर मिलेने पर जब हम भी बलरामपुर अस्पताल पहुंचे तो हमने इमरजेंसी की जो हालात देखी वो बताने में भी शर्म आ रही है शर्म इएलिये क्योंकि वहां मासूम मरीजों को देखने की फुरसत किसी डॉक्टर के पास नही सब अपने समय पे ही आएंगे और कुछ ना कुछ बता कर जाएंगे उससे आगे या पीछे मरीज़ कितना भी परेशान क्यों ना हो पर डाक्टर नही आएगा पर हां जूनियर डॉ ज़रूर ये आ कर बताएंगे कि साहब राउंड पे आने वाले हैं तब उनको बताइयेगा।

ये जो बच्चा आप देख रहे हैं ये 12 साल का बबलू है जो गोंडा से लखनऊ बलरामपुर में अपने पापा के साथ घुटने का इलाज करवाने आया था लेकिन उसके पापा ने बताया कि यहां कोई डॉक्टर संजीदा हो कर उनके बच्चे को देख ही नही रहा और जब हम कहते है तो वहां से जवाब मिलता है कि हम ऐसे ही देखेंगे ज़्यादा अच्छा चाहिए तो प्राईवेट में भर्ती करवा लो।

वैसे डॉक्टर का ये रवैया लाज़मी भी है क्योंकि सरकारी अस्पताल होने के नाते यहां मरीज़ जो ज़्यादा आते हैं लेकिन यहां सिर्फ डॉक्टरी सुविधा हो सही ना हो ऐसा भी नही है क्योंकि यहां का बाथरूम भी इमरजेंसी के नाम पर बदनुमा दाग सा ही लगता है ना ही वहां की बेहतर सफाई ना ही अंदर कोई सुविधा बताइये ये हाल इमरजेंसी का है तो आगे क्या होगा और इस पर सरकार छाती थोक के कहती है कि हमने अस्पताल में बहार ला दी अरे साहब आपने बहार किसके लिए ला दी ये भी बता दिया केजिए अस्पताल प्रशासन के लिए या मरीजों के लिए क्योंकि मरीजों को आपकी सहायता मिलती हो ऐसा तो नही लगता और प्रशासन तक क्या क्या पहुंचता हो ऐसा भी हमे नही दिखता तो आखिर सरकारी दावे से उलट क्यों है सरकारी अस्पताल की व्यवस्था ये कोई बतायेगा।

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