बहराइच के एकमात्र शिक्षण संस्थान आज़ाद इन्टर कालेज की बेश कीमती ज़मीन पर भू माफियाओं की लगी नजर,अवैध रूप से बनाई जा रही है दुकानें, विरोध करने पर तानाशाह बने नगर मजिस्ट्रेट,जनता के प्रतिनिधि और पूर्व छात्र ने जब उठाया सवाल तो कहा कर देंगे तुम्हारी ऐसी तैसी………
बहराइच : (अब्दुल अजीज)NOI:-बहराइच नगर के नानपारा मार्ग पर स्थित आज़ाद इन्टर कालेज जो अपने आप मे एकमात्र अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान के रूप में जाना और पहचाना जाता है जिसे कुछ समाज दुश्मन स्वार्थी लोगों की नजर लग गयी और उन लोगों ने सबसे पहले अपनी काली करतूतों से इस कॉलेज का अल्पसंख्यक स्वरूप समाप्त करा दिया उसके बाद अपने निजी स्वार्थों के खातिर कॉलेज प्रांगण में लगे सैकड़ों शीशम के पेड़ कटवा कर गायब करा दिया और अब उसके एकमात्र खेल के मैदान को समाप्त कराने पर आमादा जिसके अंतर्गत एक षडयन्त्र के तहत स्कूल के खेल के मैदान में 40 दुकानों का निर्माण कराने की कोशिश में वहां खुदाई और दीवार उठाने का काम शुरू करा दिया गया जब इस बात की जानकारी क्षेत्र के समभ्रांत लोगों को लगी तो उन्होंने ने सर्व प्रथम इस अवैध निर्माण पर चर्चा करते हुऐ इस पर अंकुश लगवाने के लिये आज़ाद कॉलेज के पूर्व छात्र और पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी जनपद के जिला पंचायत अध्यक्ष के संज्ञान में ये बात लाते हुए उसे रुकवाने की गुहार लगाई परिणाम स्वरूप अपने सपनो को साकार करने वाली इस संस्थान पर आई विपदा को दूर करने और उसकी हिफाजत की जिम्मेदारी निभाते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष नदीम मन्ना ने बीते मंगलवार को मौके पर पहुंच कर वहां कार्य करा रहे लोगों से बात चीत की और काम को रुकवाने का आग्रह किया जिस पर उन्हें बताया गया कि ये निर्माण कार्य विद्यालय की प्रबन्ध समिति के निर्देशन पर कराया जा रहा है अतः ऐसे में रुकवाने का आदेश उन्ही के द्वारा आयेगा तभी ये काम रुकेगा अन्यथा काम चलता रहेगा।ऐसी दशा में पंचायत अध्यक्ष मन्ना ने उसी स्थल से नगर मजिस्ट्रेट प्रमिल कुमार को स्थिति से अवगत कराते हुए निर्माण कार्य रुकवाने का आग्रह किया तो उन्होंने अपना पल्लू झाड़ते हुये जिलाधिकारी से बात करने की बात कही,इसी पर जब उन्होंने उनसे इस निर्माण कार्य के लिये नक्शा पास होने की जानकारी चाही तो उन्ही के द्वारा बताया गया कि इसका न तो कोई नक्शा है और न पास कराया गया है।इस बात पर पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि यदि कोई सामान्य नागरिक अपने आवास में कोई निर्माण कार्य बिना नक्शे के कराता है तब तो आप उसपर जुर्माना ठोंकते हुए जेल की सलाखों तक पहुंचा देते हैं और यहां एक ओर तो बिना नक्शे और वैधानिक अनुमति से इतना बड़ा निर्माण कार्य हो रहा है और दूसरे एक शिक्षण संस्थान को नुकसान पहुंचाते हुए यहां पढ़ रहे बच्चों से उनका खेल का मैदान छीना जा रहा है और आप इसे नही रुकवा सकते हैं ?उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि कहीं ऐसे तो नही इस अवैध कार्य के लिये आपको कोई बड़ा फायदा कराया गया है।इस बात पर नगर मजिस्ट्रेट अपना आपा खो बैठे और पंचायत अध्यक्ष को उनकी ऐसी तैसी कर देने तक की बात कह डाली।नगर मजिस्ट्रेट और जिला पंचायत अध्यक्ष के बीच हुई ये वार्ता लाप और उसका व्यवहार शहर में आग की तरह फैल गयी जिसे लेकर तरह तरह की अफवाहों का जहां बाजार गर्म हो गया है वहीं लोग किसी भी शिक्षण संस्थान के वजूद से खिलवाड़ करने को बर्दाश्त करने को तैयार नही हैं।उल्लेखनीय है कि बहराइच शहर में स्थित आज का ये आजाद इन्टर कॉलेज की आधारशिला एक मदरसे के रूप में हुई थी जिसे शहर के नाजिर पुरा निवासी स्वर्गीय मौलाना महफ़ूजुर्रहमान ने किया था जिसको संचालित करने के लिये नानपारा नरेश राजा सआदत अली खान ने अपनी ये बियाबान वीरान कोठी दी थी जिसमे ये आज कॉलेज कायम है।कुछ समय पश्चात ये मदरसा एक विद्यालय में तब्दील हो गया और इसकी देखरेख को सुचारू रूप से चलाने के लिये दरगाह शरीफ की मदद लेते हुये इसकी कमेटी में उनको भी स्थान उपलब्ध कराया गया था।समय बदला और हालात बदले और तत्कालीन इस अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र में अपनी एक शिक्षण संस्थान की आवश्यकता महसूस की गई जिसके प्रस्ताव पर इस मदरसे को मिडिल तक के स्कूल की मान्यता दिला दी गयी चूँकि दरगाह शरीफ प्रबन्ध समिति के माध्यम से सामाजिक उत्थान के लिये कार्य किये जाते रहे थे लिहाजा कौम के इस विकास के काम मे भी बढ़ चढ़ कर भागेदारी निभाने के लिये तत्कालीन दरगाह शरीफ प्रबन्धन ने इसकी मदद करने का जिम्मा उठा लिया और अपने बाइलॉज में इसकी व्यवस्था पर भी खर्च करने का एक मानक निर्धारित कर दिया था इसी के साथ ही ये विद्यालय मिडिल से लेकर हाई स्कूल और उसके बाद इन्टर कॉलेज के रूप में एक बेहतरीन शिक्षण संस्थान के रूप में उभर कर सामने आया था।आज जिस खेल के मैदान का भाग्य हिचकोले खा रहा है इसी मैदान पर सीख कर और खेल कर जहां होनहार खिलाड़ियों ने बहराइच का नाम रोशन किया है वही यही आज़ाद कॉलेज हॉकी के खेल और शिक्षा जगत में आदर से नाम लिए जाने वाले कॉलेजों में से एक था।इसके बाद इस कॉलेज के पतन का भी दौर शुरू हो गया और इसी विद्यालय के कुछ कथित शिक्षक अपने फायदे के लिये कूटनीति का सहारा लेते हुये इसका अल्पसंख्यक स्वरूप समाप्त करा दिया और इसके प्रबन्धन में रोड़े अटकाते हुए इसे तबाही के कगार पर पहुंचा दिया।इसकी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाते हुए सैकड़ों की तादाद में लगे शीशम के पेड़ विद्यालय से गायब हो गये और कॉलेज की प्रबन्ध समिति पर समाज दुश्मन लोगों का कब्जा हो गया जिसके नतीजे में आज़ाद कॉलेज का सुनहरा भाग्य आज आँसू बहाता दिखाई दे रहा है लेकिन फिर भी कौम के ठेकेदार चुप चाप आँखे मूंदे सब कुछ देखते जा रहे हैं और इसकी सुरक्षा के लिये कोई आगे आने को तैयार नही है जो आ भी रहा उसे प्रशासनिक लोगों द्वारा कुछ इस तरह प्रताड़ित किया जा रहा है।अब ये भी एक सवाल उठता है कि हक की आवाज उठाने पर जिले के प्रथम नागरिक और एक जन प्रतिनिधि के साथ प्रशासन का ये रवैया देखने को मिल रहा है आम नागरिकों के साथ इनका कैसा बर्ताव होगा ये अपने आप मे एक सवाल बनकर उभर रहा है।