विश्व स्किजोफ्रेनिया दिवस (24 मई 2019)
बहराइच : (अब्दुल अजीज )NOI:- विश्व स्किजोफ्रेनिया सप्ताह हर साल 20 से 27 मई को मनाया जाता है | इस मानसिक विकार से पीड़ित रोगियों की मदद करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और अभियानो का आयोजन किया जाता है | जिससे लोगों के अंदर इस मानसिक बीमारी को लेकर जागरूकता आए और वो सही समय पर मनोचिकित्सक के पास इलाज के लिए पहुंच पाए, ना कि इसको भय और उपेक्षा की दृष्टि रखते हुए झाड़-फूंक, भूत-प्रेत का साया समझकर पीड़ित व्यक्ति को समाज से अलग-थलग कर दें। इस वर्ष, विश्व स्किजोफ्रेनिया सप्ताह के लिए जो विषय अपनाया गया है वह है “आप जो कर सकते हैं करें” |
स्किजोफ्रेनिया एक मानसिक विकार है जो मस्तिष्क के सामान्य काम काज को प्रभावित करता है | यह स्थिति व्यक्ति के कार्य करने, सोचने या महसूस करने की क्षमता मे हस्तक्षेप करती है | स्किजोफ्रेनिया एक बहुत गंभीर स्थिति है और इसके साथ बहुत सारी सामाजिक तौर पर गलत बातें जुड़ी हैं, जिससे रोगी के लिए समाज के साथ तालमेल बैठाना बहुत मुश्किल हो जाता है |
मनोचिकित्सक डॉ0 विजित जायसवाल बताते हैं कि स्किजोफ्रेनिया में व्यक्ति का दिमाग सामान्य से अलग व्यवहार करता है मुख्यतः व्यक्ति की सोचने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता पर असर पड़ता है।
स्किजोफ्रेनिया में प्रायः तीन तरह के प्रमुख लक्षण देखने को मिलते हैं
1. सोच-विचार में दुविधा, वास्तविकता से दूरी
2. भ्रमित विश्वास होना
3. मिथ्या भाष होना जैसे कि सुनना, देखना, महसूस करना उन वस्तुओं का जो वास्तविक नहीं है।
मनोचिकित्सक बताते हैं कि लगभग 100 में से एक व्यक्ति स्किजोफ्रेनिया का शिकार होता है अधिकतर उम्र के बीसवें पड़ाव में पहली बार व्यक्ति के अंदर लक्षण आते हैं। डॉ0 विजित के अनुसार स्किजोफ्रेनिया के कारक में अनुवांशिकता, मस्तिष्क में कुछ रसायनों का असामान्य बदलाव तथा नशीले पदार्थ अत्याधिक लेने या अत्यधिक तनाव लेने की वजह से होता है।
सही समय पर एंटीसाइकोटिक्स दवाएँ, नियमित जांच के लिए आना एवं मनोवैज्ञानिक सलाह तथा उपचार से व्यक्ति सही हो सकता है या स्थिति में सुधार बना रह सकता है।
नैदानिक मनोवैज्ञानिक मोहित चंद्र बताते हैं स्किजोफ्रेनिया में एक व्यक्ति कल्पना और वास्तविकता में अंतर नहीं कर पाता उसमें डर बना रहता है। सर्वप्रथम परिवार के लोगों को और समाज को ऐसे में व्यक्ति से उपेक्षा का भाव न रखते हुए उसके उपचार हेतु उसका सम्मान बनाए रखना चाहिए उसका तिरस्कार नहीं करना चाहिए। सोशल स्किल ट्रेनिंग, संज्ञानात्मक व्यवहार, चिकित्सा या सीबीटी आदि मनोचिकित्सक उपचार से व्यक्ति को इस बीमारी में लाभ मिलता पाया गया है l
मुख्य लक्षण :
अकेले बैठ कर बुदबुदाना या हसना
अपने आप से बातें करना
शक शंका करना की लोग मेरे बारे में बातें करते हैँ, मुझ पर हसते हैँ, मुझे मरना चाहते हैँ l
कानों में तरह तरह की आवाजें आना
लड़ाई झगड़ा या गाली गलौज करना
बिना किसी कारण उत्तेजित हों जाना