एक जीएसटी अमिताभ वाला, अमिताभ के गाल पर तिरंगे के निशान वाला! दूसरा जीएसटी शर्माजी वाला, जिनको विज्ञापन में कहा जाता है कि क्या डर गए शर्मा जी?
असली जीएसटी आ रहा है। वह ‘एक राष्ट्र एक टैक्स एक बाजार’ की गारंटी दे रहा है। एबीपी दिखाता है कि संसद भवन स्वागत में रौशन रौशन है!सब डरे हुए हैं। इतने डरे हुए हैं कि एक चैनल के कैमरों ने जब सूरत के साड़ी बाजार के दुकानदारों से जीएसटी के फायदों के बारे में पूछा, तो दुकानदारों ने साफ कहा कि हम बही-खाते वाले कंप्यूटर कहां से रखें? उसे चलाने वाला कहां से लाएं? इतना पैसा कहां कमाते हैं? लेकिन जीएसटी के सरकारी सेल्समेन बोलते रहे कि क्या है कि आप हर महीने रिटर्न भरिए, आप मोबाइल से भर सकते हैं, कंप्यूटर से भर सकते हैं, आनलाइन भर सकते हैं। राष्ट्र को फायदा है, तो आपका फायदा है। दो महीने तक मोहलत है। जीएसटी तो लगेगा। ‘एक राष्ट्र एक टैक्स एक बाजार’ एक जुलाई से बना के रहेंगे! दो दिन पहले चांदनी चौक के दुकानदार एक चैनल से बोले: हमारा तो सारा धंधा चौपट कर देगा ये! लेकिन कोई सुनने वाला हो तो इनकी सुने! जीएसटी के विज्ञापन वाले दुकानदार शर्माजी डरते हैं, उपहास के पात्र बनते हैं और ‘एक राष्ट्र एक टैक्स एक बाजार’ बनाने पर तुले मंत्रीजी एक चैनल पर राष्ट्र बनाने की खुशी में अपने होंठ चबाते रहते हैं!
अजीब-सा डर पसरा है, जिसे चैनल सेंसर किए जा रहे हैं। वे उन परेशान और डरे हुए बाजारों में नहीं जा रहे, जो ठप्प पड़े हैं। सारे भारत के व्यापारी हड़ताल पर हैं। लेकिन ‘हिज मास्टर्स वायस’ बने कुछ चैनल नेताआें को बुला-बुला कर जीएसटी समझवाते रहते हैं और जीएसटी है ऐसा तिलिस्म कि जितना समझाते हैं उतना ही कन्फ्यूजन बढ़ता जाता है, वरना एक सप्ताह से समझाए जा रहे हैं और कोई समझ नहीं पा रहा कि जीएसटी क्या बला है?एबीपी बता रहा है कि जीएसटी संसद के सेंट्रल हॉल में आधी रात के तुरंत बाद घंटा बजा कर लागू होगा, तभी एक राष्ट्र बनेगा! वह जीएसटी को सेलीब्रेट करता है और इतना तक नहीं पूछता कि अब तक हम क्या एक राष्ट्र नहीं थे? और एक राष्ट्र क्या शर्माजी को बिना डराए नहीं बन सकता? वह राष्ट्र क्या जो डराए?बाजार में एक डर पसरा हुआ है! यह कैसा जीएसटी है, जो जन्म से पहले ही डराने लगा है! यह किसका शिशु है, जो सबको डराते हुए आ रहा है ‘कंस’ की तरह!
रात के बारह बजे की टाइमिंग पर कांग्रेस कह रही है कि यह तमाशा आजादी मिलने के बाद की रात नेहरू की ‘भाग्य से मुलाकात’ (ट्रिस्ट विद डेस्टिनी) की नकल भर है!विपक्ष और एंकर मजाक तक करना भूल गए हैं कि नजर उतारने के लिए ही सही, किसी मंत्री से कह सकते थे कि सरजी यह मेगा शो तो कृष्ण जन्माष्टमी की रात होता तो कितना अच्छा होता कि इधर आधी रात होती और संसद में जीएसटी का प्राकट्य होता, उधर मथुरा में भगवान कृष्ण का होता! एक जुलाई की टाइमिंग कुछ जंची नहीं!
विघ्नसंतोषी कांग्रेस कह रही है कि जो जीएसटी कष्टदायक है, उसके लिए इतना तमाशा क्यों?
कांग्रेसी कब समझंगे कि यह तमाशे का ही जमाना है। तमाशा ही असली चीज है। टैक्स लगाओ, मगर गा-बजा कर, तो वह पीड़ा कम देता है। फिर कहो कि अच्छी जनता तुम राष्ट्र के लिए इसे सहो! अंत में आनंद ही आनंद है!टीवी से बाजार तक जीएसटी का डर पसरा है, तो गली, सड़क, मुहल्ले, घरों में ट्रेनों, ट्रकों, बसों में हत्यारी भीड़ों (लिंच मॉब्स) का डर पसरा है! जीएसटी के ‘नए भारत’ से ंिलंच उस्तादों का ‘नया भारत’ चैनलों में ज्यादा साक्षात है!‘लिंच मॉब्स’ की वहशत के खिलाफ ‘नॉट इन माई नेम’ अवतरित हुआ। उसे तीन चैनलों ने गोद लिया। दो चैनल, वाट्सएप, फेसबुक आवाहन में लगे कि कहो ‘नॉट इन माई नेम’! बारह शहरों में इन ठिकानों पर आप ठीक छह बजे ‘नॉट इन माई नेम’ कहने आएं। ये लिंचिग हत्याएं ‘नॉट इन माई नेम’ कहें। चुप्पी तोड़ें। यह स्वत:स्फूर्त प्रतिरोध है। लेकिन इस तरह के दो घंटे वाले स्पेशल ‘ईवनिंग शो’ करने से लिंचेश्वरों का कुछ नहीं बिगड़ने वाला!
तीन दिन के तूफानी दौरे से लौटे पीएम अपने ‘नए भारत’ को बचाने के लिए गोरक्षकों को कुद्ध स्वर में चेतावनी देते हैं: गाय के नाम पर हत्या करना स्वीकार्य नहीं है… सबसे बड़े गोरक्षक गांधी, विनोबा थे… फिर भावुक होकर एक ‘गो की पश्चाताप-कथा’ सुनाते हैं अपने बचपन की कि एक पड़ोसी के बच्चा नहीं होता था, बहुत बाद में हुआ। जब वह चार साल का छोटा बालक था, एक गाय के पांव के नीचे आकर मर गया। इससे उस गाय को इतना पश्चाताप हुआ कि उसी बालक के घर के आगे कई दिन तक रो-रो कर दाना-पानी त्याग कर उसने अपने प्राण वहीं त्याग दिए!
लेकिन यह तो गऊ माता के पश्चाताप की कथा हुई सरजी! लिंचेश्वरों के पश्चाताप की कथा कहते, तो कुछ बात बनती! इधर मोदीजी बोले, उधर एनडीटीवी ने दिखाया कि झारखंड में बीफ ले जाने के संदेह में लिंचमॉब ने एक बंदा लिंच कर दिया। फिर बताया कि तमिलनाडु में एक को गाय ले जाने मात्र के लिए पीट दिया गया! ऐसे लिंचेश्वरों को पश्चाताप कहां? वे तो पीएम तक की बात नहीं मान रहे!सीएनएन न्यूज अठारह ने गोरक्षकों की नक्शानवीसी (मैपिंग) करते हुए एक गोरक्षक श्री की वाणी में ही बताया कि गोरक्षकों का एक अखिल भारतीय संगठन है, जो आनलाइन भी है। वे बाजाप्ता फार्म भरवाते हैं, संगठन का सदस्य बनाते हैं। यह एक बड़ा संगठन है। रिपोर्टर ने गोरक्षक श्री से पूछा: ऐसे आरोप लगे हैं कि गोरक्षकों ने बीफ के शक पर किसी को गाय ले जाने मात्र के कारण घेर कर मार डाला! तो गोरक्षक श्री उवाचे कि गोरक्षक दस-बीस-पचास होते हैं। वे उसे सिर्फ थप्पड़ मारते हैं। अगर इस थप्पड़बाजी में कोई मर जाए, तो क्या आप कहेंगे कि गोरक्षकों ने मारा? यह तो गलत बात है। कट टू गोरक्षक श्री नंबर दो: हमारे दो करोड़ सदस्य हैं। गोवध पर राष्ट्रीय बैन लगा दो। वे (गाय को) काटेंगे नहीं, तो हम (उनको) मारेंगे नहीं! ये हैं ‘नए भारत’ के नए वीर! नए भारत की नई ‘गोरक्षक ऐंड कपंनी’! कंडीशन्स अप्लाई! शर्तें लागू!