नई दिल्ली। अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराए जाने के एक केस में सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हो सकती है। इसमें कोर्ट यह तय करेगा कि लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश का केस चले या नहीं। सीबीआई इस मामले में आज अपनी दलील रख सकती है। कोर्ट ने सभी पक्षों से एफिडेविट जमा करने को कहा था…
जस्टिस पीसी घोष की अगुआई वाली बेंच ने 23 मार्च को हुई सुनवाई में कहा था कि दूसरी बेंच इस मामले को देखेगी। इस बेंच में जस्टिस घोष समेत जस्टिस आरएफ नरीमन शामिल होंगे। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस केस से जुड़े सभी पक्षों से एफिडेविट जमा कर अपना पक्ष रखने को कहा था। पिछली सुनवाई के दौरान बीजेपी नेताओं की ओर से पेश वकील के.के. वेणुगोपाल ने गुजारिश की थी कि मामले को 4 हफ्ते बाद लिस्टेड करें, ताकि वे कुछ डॉक्युमेंट्स फाइल कर सकें।
2 केस की सुनवाई एक जगह करने का भी ऑप्शन
6 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आडवाणी, जोशी और उमा समेत सभी आरोपियों के खिलाफ साजिश के आरोपों को रद्द करने की अपील को एग्जामिन करने का फैसला किया था। बता दें कि ये सभी नेता 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में आरोपी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दो एफआईआर से जुड़े मामलों की एक साथ सुनवाई करने के ऑप्शन पर भी विचार करने को कहा था। हालांकि, इसका आरोपियों के वकील ने विरोध किया था। वकील ने कहा था, “दोनों मामलों में अलग-अलग लोगों के नाम आरोपियों के तौर पर दर्ज हैं। दो अलग-अलग जगहों पर ट्रायल एडवांस स्टेज में पहुंच चुका है।”
सुप्रीम कोर्ट में क्यों है यह मामला
बाबरी ढांचा ढहाए जाने के बाद यूपी के सीएम रहे कल्याण सिंह, आडवाणी, जोशी, उमा समेत बीजेपी-वीएचपी के 13 लीडर्स पर आपराधिक साजिश रचने (120बी) का केस दर्ज किया गया था। बाद में रायबरेली की लोअर कोर्ट ने सभी पर ये आरोप हटाने का ऑर्डर दिया था। 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी लोअर कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। सीबीआई ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इसी की सुनवाई चल रही है। पिटीशन में इलाहाबाद हाईकोर्ट के ऑर्डर को खारिज करने की मांग की गई है। दूसरा केस अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ है, जिसकी सुनवाई लखनऊ के एक कोर्ट में चल रही है।