दीपक ठाकुर:NOI।
आज तक हम सभी यही जानते थे कि संविधान लिखने में अहम भूमिका निभाने वाले बाबा साहब का ना बाबा साहब भीमराव अंबेडकर है ये बात हर स्कूल में बच्चो तक को पढ़ाई जाती है लेकिन उत्तर प्रदेश के राज्यपाल महोदय ने बाबा साहब के नाम मे छिपा एक ऐसा भेद उजागर कर दिया जिससे राजनीती में हड़कंप मच गया।
राजनिति में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नाम पर वोट बैंक की ऐसी बिसात सी बिछी है जिसको लेकर वो लोग परेशान है कि अगर भाजपा ने इस नाम को उजागर किया तो उनके पास से वो वोट बैंक छिटक जाएगा जिसके सहारे वो सत्ता में वापसी का सपना संजोए थे वही भाजपा को बाबा साहब के नाम मे वो रहस्य दिखाई दे गया जो 2019 में उनके लिए संजीवनी बूटी साबित हो सकता है।
जैसा कि आपको भी पता ही लग गया होगा कि बाबा साहब के सिग्नेचर में आर शब्द आता है ये आर बाबा साहब के पिता रामजी नाम का सूचक है जिसे बाबा साहब अपने सिग्नेचर में इस्तेमाल करते थे इसी सिग्नेचर पर पड़ी यूपी के राज्यपाल महोदय की नज़र ने विपक्ष का सारा खेल बिगाड़ कर रख दिया।उत्तर प्रदेश सरकार ने ये घोषणा कर दी है कि अब से सभी जगह बाबा साहब का नाम बाबा साहब भीमराव रामजी अम्बेडकर लिखा जाएगा और इसी नाम से उनको जाना भी जाएगा ।
विपक्ष का कहना है कि ये भाजपा की दलित वोट बैंक को रिझाने की एक साजिश है मगर सबूत यही बता रहे हैं कि बात में सच्चाई है अब इससे अगर भाजपा को आगामी चुनाव में कोई लाभ मिलता है तो ये इसमें गलत बात हमे तो नज़र नही आती क्योंकि खोज का फल मिलना लाज़मी है ये भी एक तरह की खोज है नही तो इतने वर्षों में कोई और भी इस बात को उजागर कर सियासी लाभ ले ही सकता था।