लखनऊ, शैलेन्द्र कुमार। आज कल जहां माँ बनने का खूबसूरत सा एक पल खुशी की लहर आपके और आपके पूरे परिवार में लाता। वहीं इस खूबसूरत एहसास के दर्द से बचने के लिए भी महिलाएं रास्ते खोजने की कोशिश करतीं हैं और खोज कर उनका इस्तेमाल करती हैं। बता दें कि मां के इसी दर्द को कम करने वाली एक सर्जरी अस्पतालों में होती है जिसे सिजेरियन प्रसव कहा जाता है।
आपके मन में सवाल है कि आखिर सिजेरियन प्रसव है क्या? बता दें कि सिजेरियन एक तरह की सर्जरी होती है, जिसके द्वारा अप्राकृतिक तरीके से प्रसत करवाया जाता है। इसमें पेट और बच्चेदानी में चीरा लगाकर बच्चे को बाहर निकाल लिया जाता है। इससे मरीज को प्रसव पीड़ा नहीं सहनी पड़ती है। सीधे पेट के रास्ते बच्चे का जन्म कराया जाता है। और हाल ही के सालों में सिजेरियन प्रसव की संख्या बढ़ी है।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने जब स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नेड्डा को पत्र लिखकर सरकारी और निजी अस्पताल को सिजेरियन प्रसव का आंकड़ा सार्वजनिक करने की जरूरत बताई तब एक बार फिर सिजेरियन प्रसव पर चर्चा तेज हो गई।
आपको बता दें कि प्रो. एसपी जायसवार का कहना है कि पहले सिजेरियन के बाद जब दंपती भविष्य में दूसरा बच्चा प्लान करते हैं तो कुछ रिस्क फैक्टर बढ़ जाते हैं। पहले प्रसव में बच्चेदानी को काटना पड़ता है। इससे वह कमजोर होने की आशंका हो जाती है। इससे दोबारा गर्भवती होने पर बच्चेदानी बिना प्रसव पीड़ा के ही फट सकती है, जिससे जच्चा-बच्चा दोनों की जान जोखिम में पड़ सकती है।
कुछ मामलों में प्लेसेंटा सिजेरियन के पुराने निशान से चिपक जाती है या फिर बच्चेदानी पेशाब की थेली से चिपक जाती है। दोनों स्थितियां भी जच्चा-बच्चा के लिए खतरा बन सकता है। प्लेसेंटा को पेशाब की थैली से अलग करने में पेशाब की थैली फट सकती है।
बता दें कि राजधानी में भी विशेषज्ञ डॉक्टरों का भी कहना है कि गैरजरूरी सिजेरियन प्रसव से पहला बच्च भले ही स्वस्थ और आसानी से जन्म ले ले लेकिन दूसरी बार मां बनने की कोशिश जच्चा और बच्चा दोनों के लिए ही जानलेवा हो सकती है।
और जब सिजेरियन प्रसव के आंकड़ों को सार्वजनिक किया गया तो वह देखने वाले हैं। ये आंकड़े 1 अपै्रल 2016 से 20 जनवरी 2017 तक के हैं।
सरकारी अस्पतालों का हाल
बीएमसी कुल प्रसव सिजेरियन
एनके रोड 400 208
ऐशबाग 610 292
टूड़ियागंज 320 78
इंदिरा नगर 573 121
सिल्वर जुबली 458 142
आलमबाग 511 122
रेडक्रॉस 180 85
अलीगंज 712 265
आपको बता दें कि अस्पतालों में ऑपरेशन से प्रसव के मामले बढ़ते जा रहे हैं। प्रसव पीड़ा से बचने के लिए आधुनिक माताएं और मोटी कमाई के लिए निजी अस्पताल सिजेरियन(ऑपरेशन) प्रसव को बढ़ावा दे रहे हैं।
जबकि प्रो. एसपी जायसवार बताती है कि महिलाएं 8 से 10 घंटे की प्रसव पीड़ा सहना नहीं चाहती। मात्र 30 मिनट में प्रसव कराकर वह अपने को सुरक्षित मानती हैं, जबकि ये सोच गलत है। और इससे जच्चा और बच्चा दोनों को काफी नुकसान हो सकता है।