नई दिल्ली: बिहार में महागठबंधन टूटने को लेकर कांग्रेस पार्टी के अंदर चल रही खीचातानी के बीच उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने साफ़ कर दिया है कि उनकी पार्टी लालू यादव का साथ नहीं छोड़ेगी।
यानी एक बात साफ़ है कि निकट भविष्य में बिहार कांग्रेस में काफी बदलाव देखने को भी मिल सकता है। इससे पहले राहुल गांधी ने दो दिनों तक अपने 27 विधायकों के साथ बातचीत की और राजनीति की ताज़ा हालात और राज्य में कांग्रेस की स्थिती को लेकर सुझाव मांगे।
बताया जा रहा है कि लगभग दो तिहाई विधायकों ने सुझाव दिया कि कांग्रेस को लालू का साथ छोड़ देना चाहिए। क्योंकि बेनामी संपत्ति मामले में फंसे लालू परिवार के साथ रहना कांग्रेस के लिए भी ख़तरनाक साबित हो सकता है।
हालांकि जानकारी के मुताबिक राहुल गांधी अपने तमाम विधायकों की दलील सुनने के बाद भी इस फ़ैसले पर अड़े रहे कि वो 19 साल पुरानी दोस्ती नहीं तोड़ेंगे।
भागलपुर से कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने महागठबंधन टूटने के लिए लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को जिम्मेदार ठहराया है। शर्मा ने कहा कि एफआईआर दर्ज होने के बाद अगर तेजस्वी उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देते तो ऐसी नौबत नहीं आती। तेजस्वी की जिद की वजह से ही बिहार में महागठबंधन टूटा है।
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ रहने से ही बिहार में कांग्रेस की दुर्दशा हुई है।’ विधायक ने पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी से हुई बात का हवाला देते हुए कहा कि आधा दर्जन से अधिक विधायकों ने राहुल गांधी को यह बताया है कि पार्टी का आरजेडी के साथ रहना ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर तेजस्वी इस्तीफा दे देते तो नीतीश कुमार गठबंधन नहीं तोड़ते और जब गठबंधन नहीं टूटता तो उन्हें बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) के साथ जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
गौरतलब है बिहार में टूट की खबरों के सामने आने के बाद ही पार्टी वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी ने सभी 27 विधायकों को दिल्ली बुलाया था। इसी बैठक में पार्टी विधायकों ने कांग्रेस को बिहार में आरजेडी से अलग होने की सलाह दी थी।
इससे पहले गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी ने आरोप लगाया था कि एक साजिश के तहत उन्हें अध्यक्ष पद से हटाने की कवायद की जा रही है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पार्टी में भीतरघात का खेल चल रहा है, जिसमें पार्टी के कुछ शीर्ष नेता भी शामिल हैं। माना जा रहा है कि उनका इशारा बिहार प्रभारी सीपी जोशी की तरफ था।
अशोक चौधरी महागठबंधन की सरकार में शिक्षा मंत्री थे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी काफी नजदीकी बताई जाती है। ऐसे में संभव है कि कांग्रेस आलाकमान बहुत जल्द अशोक चौधरी को अध्यक्ष पद से हटा दकर किसी नए चेहरे के हाथों में पार्टी की कमान सौंप दे।