दीपक ठाकुर:NOI।
मुजफ्फरपुर जैसा एक और मामला सामने आया है देवरिया जिले के मां विन्ध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं सामाजिक सेवा संस्थान से जहां अनियमितताओं को लेकर सीबीआई जांच पहले ही चल रही थी और आर्थिक अनुदान भी बंद कर दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद संचालिका संस्था को चला रही थी।
जब उसी संस्था की एक लड़की किसी तरह भागकर थाने पहुंची तो उसकी आपबीती सुनकर सभी चौंक गए क्योंकि पूरा मामला बिहार के मुज़फ्फर पुर के मामले की तरह था।महिला थाने पहुंच कर लड़की ने अपनी आपबीती सुनाई। इसके तुरंत बाद महिला थाना के एसओ ने तत्काल एसपी को इसकी सूचना दी जिस पर पुलिस हरकत में आई और मां विन्ध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं सामाजिक सेवा संस्थान पर छापेमारी करवाई की जिसमें 42 लड़कियों में से 24 लडकियों को वहां से छुड़ा लिया गया और संस्था की संचालिका, उसके पति और बेटे को गिरफ्तार भी कर लिया गया।
महिला थाने पहुंची लड़की ने जो आपबीती सुनाई है वह बिलकुल मुजफ्फरपुर कांड से मिलती जुलती है। लड़की ने कहा कि संस्था में एक दीदी हैं उन्हें बड़ी मैम रात को कहीं भेजती थीं कभी लाल गाड़ी तो कभी काली गाड़ी आती थी उनको ले जाने और जब दीदी सुबह में आती तो सिर्फ रोती थीं।कुछ भी पूछने पर बताती नहीं थी।उसने कहा कि हम लोगों से वहां झाड़ू पोछा करवाया जाता था।
वहीं इस पूरे मामले पर डीपीओ देवरिया का कहना है कि मां विन्ध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं सामाजिक सेवा संस्थान के खिलाफ अनिमियता पाई गई थी उसके आधार पर इनकी मान्यता स्थगित कर दी गई थी।शासन से एक आदेश हुआ था कि सभी बच्चों को यहां से ट्रांसफर किया जाये, लेकिन बच्चों को वहां जबरदस्ती अवैध तरीके रखा गया।
अब सवाल ये है कि तमाम जांचों के बाद भी वो संस्था अपना काम कैसे कर रही थी क्या संचालिका का रसूख इतना ज़्यादा था कि उसे किसी जांच से कोई फर्क ही नही पड़ा जिस कारण उसका काम जारी रहा या ये कहा जाए कि विभागीय लापरवाही से इसे ढील मिली और घिनौना कृत्य जारी रहा।
हालांकि अब भाजपा सरकार ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है पर बात वही आ कर रुक जाती है कि क्या बिना बड़ी मिली भगत के किसी की ऐसी गुस्ताखी भी हो सकती है।मामला संगीन है इसपर संगीतना के साथ ही कार्यवाई होनी चाहिए क्योंकि ऐसे मामले ही ऐसी संस्थओं से लोगों के मन मे भय उत्पन्न कर देते हैं।