घटना के बाद से आंखों की रोशनी खो चुके लोगों के परिजन प्रशासन से मदद की गुहार कर रहे हैं।
मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं।
साथ ही मामले की जांच के लिए जिले के एडीएम छठीलाल प्रसाद की अगुआई में नेत्र रोग विशेषज्ञों की एक टीम गठित कर दी गई है।
क्या है मामला
बलभद्र स्मृति सेवा संस्थान द्वारा शिविर लगाकर पिछले दिनों सदर अस्पताल में ऑपरेशन का आयोजन किया गया था। इसमें 48 लोगों के आंखों के ऑपरेशन हुए थे।
ऑपरेशन के कुछ दिनों बाद इनमें से करीब दो दर्जन लोगों के आंखों की रोशनी चली गयी।
अधिकतर मरीज सहरसा के बनगांव व आसपास के इलकों के बताये रहे हैं।
चिकित्सकों की भी जांच
जांच टीम गैर सरकारी संस्थान के पास सरकारी अस्पताल में शिविर लगाने का सरकारी निर्देश है भी या नहीं इसकी भी जांच करेगी।
साथ ही शिविर में निर्धारित मानकों और चिकित्सों की टीम का चयन और किस स्थिति में अस्पताल में शिविर लगाने की अनुमति दी गई आदि बिंदुओं पर जांच होगी।
संबंधित एनजीओ के क्रियाकलापों की जांच के साथ ही कौन-कौन चिकित्सक थे, उनका रजिस्ट्रेशन सहित पता उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया गया है।
छत्तीसगढ़ में भी रोशनी गंवाई
इससे पहले छत्तीसगढ़ में भी इसी तरह का मामला सामने आ चुका है। दिसंबर 2012 में देवास के शासकीय जिला चिकित्सालय में नेत्र शिविर लगाया गया था, जिसमें 21 मरीजों के मोतियाबिंद ऑपरेशन किये गए थे।
यहां इनमें से 3 मरीजों को इन्फेक्शन होने का मामला सामने आया। इस मामले में 2 मरीजों को अपनी एक-एक आंख से हाथ धोना पड़ा था और एक अन्य की आंखों को बहुत मुश्किल से बचाया जा सका था।
दिसंबर में ही राज्य के धमतरी जिले के बागबहरा में नेत्र शिविर में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने गए 15 मरीजों में से नौ की एक आंख ही चली गई।
नेत्र शिविर में पहुंचे लोगों की जल्दबाजी में हुई जांच के बाद उनका ऑपरेशन कर दिया गया थो। इससे मरीजों की आंखों में संक्रमण फैल गया था।