नई दिल्ली: कहते हैं कि राजनीति में कोई किसी का दोस्त नहीं होता तो किसी का दुश्मन भी नहीं होता. इसका उदाहरण राजनीति का प्रयोगशाला कहा जाने वाला बिहार में ही देखने को मिला. लोकसभा चुनाव 2014 में जदयू, राजद, कांग्रेस को बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन से बुरी तरीके से शिकस्त झेलना पड़ा था.
आखिरकार तीनों पार्टियों ने अपनी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वीता को भूलकर एक साथ आये और एक मंच पर एकजुट होकर बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा जिसका परिदृश्य लोकसभा से पुरी तरीके से भिन्न रहा. महागठबंधन को भारी सफलता मिली वहीँ एनडीए को हार का मुंह देखना पड़ा. कहा जाता कि लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार एक दुसरे को देखना नहीं चाहते थे लेकिन आज एक साथ है नीतीश कुमार की राजनीति लालू के खिलाफ ही शुरू हुई जो उन्हें सत्ता की कुर्सी तक ले गई. लेकिन बदले समय और प्रस्थिति ने उन्हें साथ में आने के लिए मजबूर किया और आज दोनों पार्टी राजद और जदयू एक साथ मिलकर सरकार चला रही है.
महागठबंधन के नेता लालू प्रसाद यादव बिहार के महागठबंधन के तर्ज पर यूपी में भी महागठबंधन बनाने की कवायद में लगे हैं. यूपी चुनाव में बीजेपी ने सपा और बसपा को बुरी तरीके से हराया. अब लालू प्रसाद दोनों पर्त्यों को एक साथ लाकर बिहार की तर्ज पर महागठबंधन बनाने की सोच रहे हैं. बीजेपी विरोधी सभी दलों को एक मंच पर लाने के लिए पटना में वो 27 अगस्त को लालू प्रसाद यादव एक रैली करने जा रहे हैं. इस बारे में राजद की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अशोक सिंह का कहना है कि सपा और बसपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तथा मायावती ने रैली में शिरकत करने पर हामी भर दी है. लालू प्रसाद यादव ने दोनों को फोन कर इस रैल्ली में आने का निमंत्रण पहले ही दे चुके हैं.
अशोक सिंह के मुताबिक इस रैली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के भी आ सकती हैं. तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी, बीजू जनता दल के प्रमुख और ओड़िसा के सीएम नवीन पटनायक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के अलावे बीजेपी के सभी विरोधी पर्त्यों को इसमें आमंत्रित किया गया है जिसमे द्रमुक नेता एम. के. स्टालिन ने पहले ही अपनी सहमती दे दी है. अगर इस मंच पर बसपा और सपा अध्यक्ष एकसाथ मंच साझा करते हैं तो इससे बड़ा सन्देश बीजेपी को जाएगा हो सकता है बिहार की तरह यूपी में भी दोनों दल महागठबंधन बनाने पर सहमत हो जायें पुरानी बातों को भुलाकर. अगर ऐसा हो गया तो आगामी आमसभा चुनाव में बीजेपी की रह कठिन हो जायेगी. यूपी के 80 में से बीजेपी को सबसे ज्यादा 71 सांसद जीत कर संसद गए हैं।