मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर जहां भारतीय जनता पार्टी अपनी तैयारियों को तेजी देती हुई नजर आ रही है, वहीं उसके लिए हर दिन नई चुनौतियां सामने आ रही हैं। कोलारस और मुंगावली उपचुनाव में मिली हार का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि अब एक पूर्व विधायक के पार्टी बदलकर कांग्रेस में जाने की खबर आ रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक अभय मिश्रा ने सोमवार को कांग्रेस का दामन थामा। इस दौरान अभय मिश्रा के साथ राजधानी दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी के कई बड़े नेता मौजूद रहे। आपको बता दें कि अभय मिश्रा मध्यप्रदेश के रीवा सेमरिया के पूर्व विधायक विधायक रहे हैं।
गौरतलब है कि 24 फरवरी को मध्यप्रदेश की दो विधानसभा सीटों कोलारस और मुंगावली में उपचुनाव हुआ था, जिसमें कांग्रेस ने दोनों सीटें जीतीं। दोनों सीटों पर कांग्रेस विधायकों के निधन के कारण उपचुनाव कराना पड़ा था। राजनीतक विशेषज्ञों का मानना है कि इन दो सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस को मिली जीत का सीधा असर आगामी विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है।
कांग्रेस ने किया अभय मिश्रा का स्वागत
वहीं दूसरी ओऱ अभय मिश्रा के कांग्रेस में शामिल होने का राज्य की कांग्रेस इकाई ने स्वागत किया है। राज्य में कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी दीपक बबारिया ने कहा कि हम उनके इस फैसले का स्वागत करते हैं। बीते कुछ महीनों में आम जनता ने भी बीजेपी को रिजेक्ट किया है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि बीजेपी में रहने की वजह से कई बड़े बीजेपी नेता दुखी हैं और वह भी राहुल गांधी की अगुवाई में आम जनता के लिए काम करना चाहते हैं। गौरतलब है कि इसी साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में बीजेपी के लिए एक बाद एक नेताओं का पार्टी से किनारा काटना पार्टी के लिए एक बड़ा सिर दर्द बन सकता है।
सरताज सिंह ने भी कहा था – पार्टी में घुटन हो रही है
कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के उपरांत अभय मिश्रा ने कहा कि भाजपा में रहकर मैं, न केवल घुटन महसूस कर रहा था, बल्कि पंचायतीराज के सपनों को भी साकार करने में असमर्थ था, क्योंकि पंचायतीराज की अवधारणा राजीव गांधी जी की ही थी। लिहाजा, अब कांग्रेस पार्टी में आकर मैं राजीव गांधी के सपनों को बहुत हद तक साकार कर सकूंगा। गौर करने वाली बात ये है कि पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सरताज सिंह ने भी इन्हीं शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि उन्हें संगठन की कार्यशैली में घुटन हो रही है।
हालांकि इसके ठीक बाद उन्होंने सीएम शिवराज सिंह ने मिलकर अपना मंतव्य स्पष्ट कर दिया था। बहरहाल अब भाजपा के लिए जरूरी है कि चुनावी साल को देखते हुए कार्यकर्ताओं की नाराजगी और बढ़ने से पहले ही उन्हें मना लिया जाए, नहीं तो पार्टी के लिए चुनौतियां काफी बड़ी साबित होने वाली हैं।