शिलॉन्ग।राजनीति की पिच पर गेंद अब कांग्रेस के पाले में है। आलम यह है कि बीफ के मुद्दे पर भाजपा बैकफुट पर नजर आ रही है, जबकि कांग्रेस को भाजपा के खिलाफ बल्लेबाजी करने का एक सुनहरा अवसर मिल गया है।
गौरतलब है कि बीफ मेघालय की संस्कृति व जीवन का हिस्सा है। यहां की करीब 81 प्रतिशत जनता बीफ का सेवन करती है। लिहाजा राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार किसी भी सूरत में इस मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहेगी।
उसे इस बात का आभास है कि बीफ रूपी भूत का दिखाकर जनता को अपनी तरफ आकर्षित किया जा सकता है। यही वजह है कि सूबे के मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने गत 12 जून को विधानसभा में एक विशेष सत्र बुलाकर प्रस्ताव पारित किया, जिसमें वध के लिए पशु बाजार में मवेशियों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध संबंधी एक कानून लाया गया था।
मेघालय सरकार ने इस अधिसूचना का पालन न करने का फैसला लेते हुए बाकायदा प्रस्ताव पारित किया था। मुख्यमंत्री संगमा इसके पहले कई बार पत्रकारों के सवालों के जवाब में कह चुके हैं कि केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना को स्वीकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में उनकी सरकार व पार्टी जनता के बीच इसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेगी।
बताते चलें कि कांग्रेस नोटबंदी के मुद्दे को सही रूप से भुना नहीं पाई थी, लेकिन बीफ के मुद्दे पर भाजपा पर हावी होती दिख रही है। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उसे अपने लोगों के साथ-साथ जनता को भी समझाने होंगे कि उसका दल बीफ के खिलाफ नहीं है।